Public Holiday: राजधानी दिल्ली में 14 अप्रैल 2025 को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की गई है. यह अवकाश दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले सभी सरकारी कार्यालयों, स्वायत्त निकायों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में लागू होगा. उपराज्यपाल बी. के. सक्सेना की अनुमति से यह फैसला लिया गया है.
अंबेडकर जयंती की अहमियत
डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता ही नहीं, बल्कि समाज सुधारक, शिक्षाविद् और दलित समुदाय के प्रेरणास्त्रोत भी रहे हैं. उनके योगदान को याद करने और नई पीढ़ी तक उनके विचारों को पहुंचाने के उद्देश्य से यह अवकाश घोषित किया गया है. इस दिन देशभर में विशेष कार्यक्रम, संगोष्ठी और श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित की जाती हैं.
उपराज्यपाल ने जारी किया नोटिफिकेशन
दिल्ली के उपराज्यपाल बी. के. सक्सेना ने सोमवार को इस संबंध में एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की. अधिसूचना में कहा गया कि डॉ. अंबेडकर की जयंती के दिन दिल्ली में सभी सरकारी विभाग, निगम और सार्वजनिक उपक्रमों में कार्य बंद रहेंगे, ताकि कर्मचारी और आम नागरिक संविधान निर्माता को सम्मान दे सकें.
डॉ. अंबेडकर के विचार आज भी प्रासंगिक
आज जब देश सामाजिक न्याय, समानता और भागीदारी की ओर अग्रसर है, ऐसे में डॉ. अंबेडकर के विचार और संघर्ष बेहद प्रेरणादायक हैं. उन्होंने दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के अधिकारों के लिए जीवनभर संघर्ष किया. उनकी बनाई संविधान की नींव पर ही आज भारत का लोकतंत्र मजबूती से खड़ा है.
शहीदी दिवस पर भी होंगी विशेष गतिविधियां
डॉ. अंबेडकर की जयंती के साथ-साथ राजधानी दिल्ली में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस को भी भव्य रूप से मनाने की तैयारी की जा रही है. दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी इस अवसर को एक विशाल धार्मिक उत्सव के रूप में मना रही है.
साढ़े तीन लाख सहज पाठ की शुरुआत
15 अप्रैल से गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब परिसर स्थित भाई लखी शाह वणजारा हॉल में साढ़े तीन लाख सहज पाठ की शुरुआत की जाएगी. यह धार्मिक कार्यक्रम लगातार कई महीनों तक चलेगा और 25 नवंबर को इसका समापन गुरुद्वारा शीशगंज साहिब में होगा.
लाल किले पर विशाल समागम की योजना
25 नवंबर को लाल किले के प्रांगण में एक विशाल धार्मिक समागम आयोजित किया जाएगा, जिसमें देशभर से श्रद्धालुओं और धार्मिक नेता शामिल होंगे. इस आयोजन का उद्देश्य गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को याद कर नई पीढ़ी को उनके साहस, बलिदान और धार्मिक स्वतंत्रता के महत्व से अवगत कराना है.
दिल्ली में बढ़ेगा धार्मिक और सामाजिक समरसता का माहौल
एक ओर जहां डॉ. अंबेडकर की जयंती सामाजिक न्याय, शिक्षा और समावेशी समाज की प्रेरणा देती है, वहीं गुरु तेग बहादुर जी की शहादत धार्मिक स्वतंत्रता और आत्मबलिदान की गाथा है. इन दोनों महान व्यक्तित्वों को एक साथ सम्मान देने से दिल्ली में धार्मिक सद्भाव और सामाजिक समरसता का वातावरण और सक्षम होगा.
अंबेडकर जयंती पर हो सकते हैं ये आयोजन
स्कूल और कॉलेजों में विशेष सभाएं
छात्रों को डॉ. अंबेडकर के जीवन और विचारों पर भाषण देने के लिए प्रेरित किया जाएगा.
सामाजिक संगठनों द्वारा रैलियां और संगोष्ठियां
डॉ. अंबेडकर के विचारों को आम जनता तक पहुंचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे.
सरकारी कार्यालयों में श्रद्धांजलि सभा
जहां अधिकारी और कर्मचारी डॉ. अंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे.
अंबेडकर जयंती के बहाने नई पीढ़ी को जागरूक करने का अवसर
14 अप्रैल का दिन न केवल एक सार्वजनिक अवकाश है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का भी प्रतीक है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि समानता, न्याय और शिक्षा जैसे मूल्यों के लिए कितनी मेहनत और संघर्ष किया गया. दिल्ली सरकार द्वारा यह अवकाश घोषित करना एक सकारात्मक कदम है, जो आने वाली पीढ़ियों को भी डॉ. अंबेडकर के योगदान से अवगत कराएगा.