New Canal Project: राजस्थान जैसे जल संकट झेल रहे राज्य के लिए राहत की बड़ी खबर सामने आई है. राज्य सरकार ने पूर्वी राजस्थान में पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक (PKC-ERCP) प्रोजेक्ट के पहले चरण को आगे बढ़ाने की तैयारियां तेज कर दी हैं. इस योजना के तहत नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक के रूप में 200 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण किया जाएगा. इस परियोजना से एक ओर जहां लाखों लोगों को पानी की सुविधा मिलेगी, वहीं दूसरी ओर करीब 5046 परिवारों की जमीन अधिग्रहित की जाएगी.
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का उद्देश्य क्या है ?
पूर्वी राजस्थान में पानी की कमी लंबे समय से चिंता का विषय रही है. इस योजना का उद्देश्य चंबल नदी के अतिरिक्त पानी को बीसलपुर और ईसरदा बांधों तक पहुंचाना है. यह पानी बाद में सिंचाई, पीने और औद्योगिक कार्यों के लिए उपयोग में लाया जाएगा. वर्ष 2027 तक की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाए गए बीसलपुर बांध को अब विस्तार देने की आवश्यकता है, ताकि बढ़ती जनसंख्या की पानी की मांग को पूरा किया जा सके.
200 किलोमीटर लंबी नहर से जुड़े कामों की शुरुआत
नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक योजना के अंतर्गत 200 किलोमीटर लंबी नहर के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. कोटा और बारां जिलों की विभिन्न तहसीलों-किशनगंज, मांगरोल, बारां और दीगोद में भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव बनाया गया है. कुल 4694.247 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है, जिससे 5046 परिवार सीधे प्रभावित होंगे.
जन सुनवाई पूरी ग्रामीणों ने जताई चिंताएं
इस परियोजना को लेकर निजी कंपनियों की ओर से प्रभावित क्षेत्रों में जन सुनवाई का आयोजन किया गया. इस दौरान ग्रामीणों ने अपनी जमीन के नुकसान, मुआवजे, आजीविका और पुनर्वास को लेकर अपनी चिंताएं सामने रखीं. वहीं, परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने उन्हें इस योजना के दीर्घकालिक फायदे भी बताए.
9600 करोड़ रुपये का होगा निवेश
परियोजना के पहले चरण में लगभग 9600 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है. इसके तहत रामगढ़-महलपुर में बैराज और नवनेरा में पंप हाउस का निर्माण होगा. इन कार्यों के पूरा होते ही चंबल का पानी बीसलपुर और ईसरदा बांधों तक लाया जाएगा. लक्ष्य है कि वर्ष 2028 तक यह कार्य पूर्ण कर लिया जाए.
बढ़ेगा भूजल स्तर मिलेगा पीने का पानी
अधिकारियों के अनुसार, इस परियोजना से जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा और जल स्तर में सुधार आएगा. जिन क्षेत्रों में पहले जल संकट था, वहां सिंचाई और पीने के लिए पानी उपलब्ध होगा. खासकर बारां, कोटा, सवाई माधोपुर, दौसा, टोंक, अजमेर, जयपुर, अलवर, भरतपुर और करौली जैसे जिलों को इसका सीधा लाभ मिलेगा.
खेती में वृद्धि और किसानों को लाभ
पानी की उपलब्धता बढ़ने से खेती में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे. सूखे जैसी स्थिति में फसलों की पैदावार बढ़ेगी और किसान आर्थिक रूप से सशक्त बन सकेंगे. नहर के चलते पूरे साल जल आपूर्ति बनी रहने से खरीफ और रबी दोनों मौसमों की फसलें अच्छी होंगी.
उद्योगों को भी मिलेगा फायदा
सिर्फ खेती ही नहीं, बल्कि यह परियोजना औद्योगिक विकास को भी गति देगी. जल संसाधनों की उपलब्धता होने से छोटे और मंझोले उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा. इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी.
5046 परिवार होंगे प्रभावित मुआवजे की प्रक्रिया शुरू
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी के मुताबिक, प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाएगा. इसके लिए सरकार की ओर से नीतियों के तहत पैकेज तैयार किया जा रहा है. जमीन देने वाले लोगों को पुनर्वास और पुनर्स्थापन की भी सुविधा मिलेगी ताकि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो.
जल संसाधन विभाग की बड़ी योजना
इस पूरी परियोजना को जल संसाधन विभाग द्वारा संचालित किया जा रहा है. विभाग का मानना है कि इस योजना के जरिए राज्य के जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में स्थायी समाधान मिलेगा. साथ ही इससे प्राकृतिक आपदाओं जैसे सूखा और बाढ़ की मार भी कम की जा सकेगी.
राजस्थान को मिलेगा जल विकास का नया आधार
पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक योजना न केवल एक जल परियोजना है, बल्कि यह राजस्थान के विकास की एक मजबूत आधारशिला भी बन सकती है. जल की आपूर्ति, सिंचाई सुविधा, औद्योगिक विकास, रोजगार सृजन और ग्रामीण क्षेत्रों का उत्थान – ये सभी पहलू इस योजना से जुड़े हुए हैं. हां, जमीन देने वाले किसानों और परिवारों की चिंता भी जायज है, जिन्हें सरकार को सम्मानजनक मुआवजा और पुनर्वास देना होगा.