भ्रष्टाचार करने वाले सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई, 370 भ्रष्ट कर्मचारियों की लिस्ट हुई जारी Action Aginst Corruption

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Action Aginst Corruption: हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार ने राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर कड़ा रुख अपनाते हुए 370 भ्रष्ट पटवारियों की सूची जारी की है. इन पटवारियों पर जमीन के रिकॉर्ड में हेरफेर, पैमाइश, इंतकाल और नक्शा बनाने जैसे कार्यों में रिश्वतखोरी और जनता को परेशान करने के गंभीर आरोप हैं.

जिलेवार सूची में क्या है खास?

राजस्व विभाग ने जिलेवार सूची जारी की है. जिससे पता चलता है कि भ्रष्टाचार का यह जाल हरियाणा के लगभग सभी जिलों में फैला हुआ है.

  • कैथल: 46 भ्रष्ट पटवारी, जिनमें 7 ने अपने सहायक रखे हुए हैं.
  • सोनीपत: 41 पटवारी, जिनमें से 15 के पास निजी सहायक हैं.
  • महेंद्रगढ़: 36 पटवारी, जिनमें 20 ने सहायक नियुक्त किए हैं.
  • गुरुग्राम: 26 पटवारी, जिनमें से 20 के पास सहायक हैं.

सहायक बने भ्रष्टाचार के दलाल

इन भ्रष्ट पटवारियों ने अपने निजी सहायक नियुक्त किए हैं, जो दलाल की भूमिका निभाते हैं. जनता को बार-बार ऐतराज लगाकर परेशान किया जाता है. जिससे लोग मजबूरन इनकी मांगें मानने पर विवश हो जाते हैं.

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  • सहायक जमीन संबंधित कार्यों जैसे खातों को तकसीम करने, पैमाइश करने और रिकॉर्ड दुरुस्त कराने के नाम पर रिश्वत लेते हैं.
  • इस प्रक्रिया से न केवल आमजन को परेशानी होती है. बल्कि सरकार की छवि भी खराब होती है.

भ्रष्टाचार से कैसे प्रभावित हो रही है जनता?

भ्रष्ट पटवारियों के कारण लोगों को न केवल आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. बल्कि उनके समय और मानसिक शांति पर भी असर पड़ता है.

  1. आम आदमी की परेशानी: जमीन से जुड़े मामूली कामों के लिए भी लोगों को बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं.
  2. कानूनी उलझनें: फर्जी रिकॉर्ड तैयार करके या रिकॉर्ड में हेरफेर करके कई बार जमीन विवाद बढ़ा दिए जाते हैं.
  3. भरोसे की कमी: इन घटनाओं से सरकारी तंत्र पर लोगों का भरोसा कमजोर हो रहा है.

भ्रष्टाचार पर सरकार का रुख

राजस्व विभाग ने इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाते हुए सभी जिलों के उपायुक्तों (DC) को निर्देश दिए हैं कि 15 दिन के भीतर इन पटवारियों पर कार्रवाई की जाए और इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाए.

  • सरकार ने साफ किया है कि भ्रष्टाचार के ऐसे मामलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
  • जनता को राहत देने के लिए पारदर्शी प्रणाली लागू करने की बात कही गई है.

कौन-कौन से कदम उठाए जा सकते हैं?

भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सरकार और प्रशासन को कुछ सख्त कदम उठाने होंगे:

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  1. डिजिटलीकरण: जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटल माध्यम से जनता के लिए सुलभ बनाया जाए.
  2. ऑनलाइन शिकायत प्रणाली: शिकायतों के समाधान के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया जाए.
  3. सख्त दंड: भ्रष्ट पटवारियों पर कड़ी कार्रवाई करके मिसाल पेश की जाए.
  4. जन जागरूकता: लोगों को उनके अधिकारों और सरकारी प्रक्रियाओं की जानकारी दी जाए.

कैथल और सोनीपत क्यों सबसे आगे?

370 भ्रष्ट पटवारियों की सूची में कैथल और सोनीपत सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं.

  • कैथल में 46 पटवारियों में से 7 ने सहायक नियुक्त किए हैं.
  • सोनीपत में 41 पटवारी ऐसे हैं, जिनमें 15 ने निजी सहायक रखे हैं.
    इन जिलों में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होने का कारण प्रभावी प्रशासनिक निगरानी की कमी और पारदर्शी प्रणाली का अभाव है.

जनता की क्या भूमिका होनी चाहिए?

भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जनता को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी:

  1. रिश्वत न दें: किसी भी हाल में पटवारियों या उनके सहायकों को रिश्वत न दें.
  2. शिकायत दर्ज करें: यदि कोई पटवारी या सहायक रिश्वत की मांग करता है, तो इसकी सूचना तुरंत संबंधित अधिकारियों को दें.
  3. जानकारी रखें: जमीन से जुड़े कामों की प्रक्रिया की सही जानकारी रखें.

डिजिटल सिस्टम से मिलेगी राहत

भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए सरकार को राजस्व विभाग को पूरी तरह डिजिटल करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए.

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  1. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन: जमीन के खातों, इंतकाल और अन्य दस्तावेजों के लिए ऑनलाइन सेवाएं शुरू की जाएं.
  2. डिजिटल निगरानी: सभी पटवारियों की गतिविधियों पर डिजिटल निगरानी रखी जाए.
  3. सुविधा केंद्र: ग्रामीण और शहरी इलाकों में डिजिटल सुविधा केंद्र खोले जाएं.

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