Public Transport Action: उत्तराखंड परिवहन निगम इन दिनों वित्तीय संकट से जूझ रहा है जिसका मुख्य कारण बसों का खाली चलना बताया जा रहा है. निगम की बसें, जिन्हें संख्या में यात्री न के बराबर देखा जा रहा है, इस घाटे का प्रमुख कारण हैं. आइए जानते हैं इस स्थिति के पीछे के कारणों को.
बसों की जांच और निगम की नाराजगी
हाल ही में परिवहन निगम मुख्यालय ने जब बसों की जांच कराई तो पाया गया कि अधिकांश बसें खाली चल रही हैं. इस जांच में निगम के महाप्रबंधक (संचालन) पवन मेहरा ने गहरी नाराजगी व्यक्त की और बसों की रोजाना आय का लक्ष्य तय करने के आदेश दिए. इसके साथ ही सभी डिपो के सहायक महाप्रबंधकों से इसकी साप्ताहिक रिपोर्ट भेजने को भी कहा गया.
कम यात्रियों का संकट
जांच के दौरान यह सामने आया कि बसें यात्रियों को ठीक से आकर्षित नहीं कर पा रही हैं. विशेषकर सोनीपत से गोहाना के बीच और नैनीताल व टनकपुर मंडल से देहरादून की ओर संचालित बसों में यात्रियों की संख्या बहुत कम पाई गई. महाप्रबंधक ने पाया कि चालक-परिचालक यात्रियों को बैठाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं, जिससे निगम की आय पर भारी असर पड़ रहा है.
नियमित समीक्षा और कार्रवाई के आदेश
महाप्रबंधक पवन मेहरा ने सख्त लहजे में कहा कि बसों की दैनिक आय का लक्ष्य हर हाल में पूरा होना चाहिए और इसकी नियमित समीक्षा की जाएगी. उन्होंने चालक-परिचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के भी आदेश दिए, यदि वे लक्ष्य की प्राप्ति में असफल रहे.
चेकिंग टीम की भूमिका
चेकिंग टीमों को विशेष निर्देश दिए गए कि वे बसों की लगातार जांच करें और जहां भी कम यात्री मिलें, उनकी रिपोर्ट तत्काल मुख्यालय को भेजें. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक बस अपनी आय का लक्ष्य पूरा करे.
कर्मचारियों की मांग और उनका कल्याण
उत्तराखंड रोडवेज संयुक्त कर्मचारी परिषद ने भी मकान किराया भत्ते के लिए सरकार से संशोधन की मांग की है. परिषद ने यह मांग उठाई है कि परिवहन निगम के कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के अनुसार मकान किराया भत्ता मिलना चाहिए, जो कि अभी तक लंबित है.
इस प्रकार, उत्तराखंड परिवहन निगम आर्थिक घाटे से उबरने के लिए गंभीर कदम उठा रहा है, और इस दिशा में जारी प्रयासों से निगम की स्थिति में सुधार की उम्मीद की जा सकती है.