Vehicles New Rules: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 2018 में दिए गए अपने आदेश को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं. इस आदेश के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में चलने वाले वाहनों पर कलर कोडेड स्टिकर लगाना अनिवार्य होगा. ये स्टिकर इस बात का संकेत देंगे कि वाहन किस प्रकार के ईंधन पर चलता है. कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जिन वाहनों पर यह स्टिकर नहीं लगे हैं. उन्हें पॉल्यूशन सर्टिफिकेट (PUC) नहीं दिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच का फैसला
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया. अदालत ने एनसीआर के सभी राज्यों को आदेश दिया है कि जब तक वाहनों पर कलर कोडेड स्टिकर नहीं लगाए जाते. तब तक उन्हें पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं दिया जाए.
क्या है 2018 का सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त 2018 को आदेश दिया था कि पेट्रोल और CNG से चलने वाले वाहनों पर हल्के नीले रंग (लाइट ब्लू) के स्टिकर और डीजल से चलने वाले वाहनों पर ऑरेंज (नारंगी) रंग के स्टिकर लगाए जाएं. इस नियम को 2 अक्टूबर 2018 से लागू करने की बात कही गई थी. लेकिन अब तक इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है.
अब 1 अप्रैल 2019 से पहले रजिस्टर्ड वाहनों पर भी लागू होगा नियम
कोर्ट ने सोमवार को आदेश को संशोधित करते हुए कहा कि 1 अप्रैल 2019 से पहले रजिस्टर्ड सभी वाहनों पर भी यह नियम लागू होगा. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि वाहन मालिकों ने इस नियम का पालन नहीं किया, तो उनके खिलाफ जुर्माना लगाया जाएगा.
एनसीआर राज्यों को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर राज्यों को आदेश दिया है कि वे एक महीने के भीतर हलफनामा (अफिडेविट) दायर करें. जिसमें यह जानकारी दी जाए कि वे इस आदेश को लागू करने की क्या योजना बना रहे हैं. अदालत ने सरकारों से यह भी पूछा है कि इस आदेश का पालन करने में अब तक देरी क्यों हुई है.
दिल्ली सरकार पहले से कर रही है नियम का पालन
पीठ ने बताया कि दिल्ली सरकार पहले से इस नियम का पालन कर रही है. दिल्ली सरकार ने हलफनामा दायर करके बताया कि डीलरों को वाहन निर्माताओं (मैन्युफैक्चरर्स) द्वारा कलर कोडेड स्टिकर लगाने के लिए अधिकृत किया गया है. अदालत ने अन्य एनसीआर राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को भी इस प्रक्रिया को तेजी से लागू करने को कहा है.
दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण की वजह से सख्त कदम
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी. जिसमें अदालत ने पाया कि वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं है. इसी को नियंत्रित करने के लिए कलर कोडेड स्टिकर अनिवार्य किए गए हैं. ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कौन-सा वाहन कौन-सा ईंधन उपयोग कर रहा है.
कलर कोडेड स्टिकर लगाने से क्या होगा फायदा?
कलर कोडेड स्टिकर लागू होने से कई फायदे होंगे, जैसे:
- प्रदूषण नियंत्रण में मदद – ट्रैफिक पुलिस और अन्य एजेंसियां आसानी से पहचान सकेंगी कि कौन-सा वाहन ज्यादा प्रदूषण फैला सकता है.
- वाहनों की श्रेणी का निर्धारण – इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि कौन-से वाहन पुराने हैं और किस श्रेणी में आते हैं.
- सख्त नियमों का पालन – पुराने डीजल वाहनों की पहचान करना आसान होगा और जरूरत पड़ने पर उन्हें प्रतिबंधित भी किया जा सकेगा.
क्या वाहन मालिकों पर लगेगा जुर्माना?
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि जो वाहन मालिक अपने वाहनों पर स्टिकर नहीं लगाएंगे. उन पर जुर्माना लगाया जाएगा. हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि जुर्माने की राशि कितनी होगी, लेकिन यह तय है कि जो वाहन इस नियम का पालन नहीं करेंगे. उन्हें पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा.
एनसीआर राज्यों को क्या करना होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की सरकारों को निर्देश दिए हैं कि वे:
- सभी पुराने और नए वाहनों पर कलर कोडेड स्टिकर लगाना अनिवार्य करें.
- वाहन पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) के समय ही स्टिकर लगाने की प्रक्रिया सुनिश्चित करें.
- एक महीने के अंदर अदालत में हलफनामा जमा करें. जिसमें बताया जाए कि यह आदेश कैसे लागू किया जाएगा.
वाहन मालिकों को क्या करना चाहिए?
अगर आप एनसीआर में रहते हैं और आपके पास वाहन है, तो आपको जल्द से जल्द अपने वाहन पर कलर कोडेड स्टिकर लगवा लेना चाहिए. ऐसा न करने पर आपको भविष्य में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे:
- पॉल्यूशन सर्टिफिकेट न मिलना – इससे आपको गाड़ी चलाने में दिक्कत हो सकती है.
- ट्रैफिक चालान और जुर्माना – यदि वाहन पर स्टिकर नहीं है, तो ट्रैफिक पुलिस चालान काट सकती है.
- इंश्योरेंस पर असर – कई बीमा कंपनियां बिना पॉल्यूशन सर्टिफिकेट के इंश्योरेंस देने से मना कर सकती हैं.
अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च 2025 को तय की है. तब तक अदालत यह देखेगी कि एनसीआर राज्यों ने इस आदेश को कितना लागू किया है और वाहन मालिकों ने इस पर कितना अमल किया है.