Awas Yojana: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा विलेज कामन लैंड नियमितीकरण एक्ट 1961 में महत्वपूर्ण संशोधन करने का निर्णय लिया गया. इस संशोधन के अनुसार, जिन लोगों ने 20 साल या उससे अधिक समय से पंचायती जमीन पर अपने मकान बनाकर रह रहे हैं, उन्हें अब 2004 में निर्धारित कलेक्टर रेट के अनुसार रजिस्ट्री कराकर मालिकाना हक प्राप्त हो सकेगा. यह निर्णय गांवों में रहने वाले हजारों परिवारों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है.
मालिकाना हक की प्रक्रिया
जिन लोगों ने पंचायती जमीन पर 20 वर्षों से अधिक समय तक अपने मकान बनाकर रह रहे हैं, उन्हें 500 वर्ग गज तक की जमीन पर मालिकाना हक मिलेगा. यह घोषणा करते हुए, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि एक बार मालिकाना हक मिल जाने के बाद, लोग अपनी संपत्ति को किसी को भी और किसी भी दाम पर बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे. यह उन ग्रामीणों के लिए एक बड़ी जीत है जिन्हें पहले अपनी ही जमीन पर कानूनी अधिकार प्राप्त करने में कठिनाइयाँ आती थीं.
प्राकृतिक आपदाओं के बीच सुरक्षा की गारंटी
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्राकृतिक आपदाएँ जैसे कि बाढ़ और जल बहाव की वजह से अनेक बार गांवों में लोगों के घर उजड़ जाते थे. ऐसी स्थितियों में वे जहां भी जमीन उपलब्ध होती, वहां घर बना लेते थे. इन घरों को गिराने का खतरा हमेशा बना रहता था, जिससे वे कानूनी चुनौतियों और मानसिक तनाव से गुजरते थे. इस नई नीति से उन्हें न केवल स्थायित्व मिलेगा बल्कि उनकी आर्थिक सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी.
मालिकाना हक की अवधि और भविष्य की संभावनाएं
इस नीति के तहत, जिन ग्रामीणों के पास अपनी जमीन पर 20 वर्षों से अधिक समय तक मकान हैं, उन्हें एक वर्ष के भीतर 2004 के कलेक्टर रेट पर अपनी संपत्तियों की रजिस्ट्री करवानी होगी. इस प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए, अब इसका अधिकार सीधे डायरेक्टर पंचायत को दिया गया है.
यमुना और मारकंडा नदियों के किनारे बसे गांवों के लिए फायदा
खासकर यमुना और मारकंडा नदियों के किनारे बसे गांवों के निवासियों को इस नीति का ज्यादा लाभ होगा. बाढ़ के कारण अक्सर इन गांवों के लोगों को अपने मकान बदलने पड़ते थे. अब, इस नीति के साथ, उन्हें उनकी जमीन पर कानूनी अधिकार मिल जाएगा, जिससे उनके जीवन में स्थिरता और सुरक्षा आएगी.