Cheaper Eletric Car: कार खरीदना मध्यम वर्ग के लिए एक बड़ा सपना होता है, जिसे पूरा करने के लिए वे दिन-रात मेहनत करते हैं. साल 2024 में देश में कारों की बिक्री ने नए रिकार्ड बनाए हैं जिसमें 43 लाख से अधिक कारें बिकीं. यह आंकड़ा दर्शाता है कि कैसे कार की खरीदारी आम भारतीयों के लिए एक प्रमुख लक्ष्य बन चुकी है.
पर्यावरणीय चुनौतियाँ और इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुझान
बढ़ती पर्यावरणीय चुनौतियों के बीच, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की मांग में निरंतर वृद्धि हुई है. इस बढ़ते हुए रुझान के पीछे मुख्य कारण वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को कम करने की सामूहिक इच्छा है. सरकार ने भी समय-समय पर इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए कई पहलें की हैं.
सरकारी पहल
हाल ही में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की कि भारत सरकार 35 प्रकार के कैपिटल गुड्स पर कोई इंपोर्ट ड्यूटी नहीं लगाएगी, जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बैटरियों के उत्पादन में होता है. यह कदम भारत में ईवी बैटरियों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है.
इंपोर्ट ड्यूटी में छूट से उम्मीदें
संसद में वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि यह छूट भारतीय मैन्युफैक्चरिंग को मजबूती प्रदान करेगी और इससे न केवल घरेलू उत्पादन बढ़ेगा बल्कि एक्सपोर्ट क्षमता में भी इजाफा होगा. ईवी बैटरियों पर आयात शुल्क को हटाने का यह कदम उपभोक्ताओं के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों को कम कर सकता है और इस उद्योग को एक नई गति प्रदान करेगा.
वैश्विक व्यापार नीतियों में बदलाव और भारत की प्रतिक्रिया
अमेरिका ने हाल ही में घोषणा की कि वे 2 अप्रैल 2025 से कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाएंगे, जिसमें भारत भी शामिल हो सकता है. भारत सरकार इसके जवाब में अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ को कम करने की दिशा में विचार कर रही है, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन बना रहे.