Bank Nominee Rule: भारतीय बैंकिंग सिस्टम में हाल ही में एक नवीन परिवर्तन हुआ है, जिसके अंतर्गत अब बैंक खाताधारक अपने खाते में एक से अधिक नॉमिनी, अर्थात् चार नॉमिनी तक जोड़ सकेंगे. यह परिवर्तन बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक के पारित होने के पश्चात लागू हुआ है. इसका मुख्य उद्देश्य वित्तीय संपत्तियों के बंटवारे में अधिक आसानी और बैंकिंग सिस्टम में अनक्लेम्ड डिपॉजिट की संख्या को कम करना है. इस आर्टिकल में हम इसके नए नियम के फायदे और इसकी व्यवहारिकता के बारे में बताने जा रहे है.
नॉमिनी संख्या में बढ़ोतरी
पहले के नियमों के अनुसार, बैंक खाताधारक केवल एक ही नॉमिनी को अपने खाते में जोड़ सकते थे, जिससे कई बार परिवार में वित्तीय बंटवारे को लेकर विवाद उत्पन्न होते थे. नए नियम के तहत खाताधारक चार तक नॉमिनी नियुक्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें अपनी वित्तीय संपत्तियों को अधिक कुशलतापूर्वक बाँटने की सुविधा मिलेगी. इससे परिवार में संघर्ष कम होंगे और सभी सदस्यों को उचित हिस्सा मिल सकेगा.
नॉमिनेशन के प्रकार
नए नियम में दो प्रकार की नॉमिनेशन प्रक्रियाएँ शामिल हैं: सिमल्टेनियस और सक्सेसिव. सिमल्टेनियस नॉमिनेशन में, खाताधारक निर्धारित कर सकता है कि उसके द्वारा जमा कीये गए पैसे का बंटवारा नॉमिनीज के बीच किस अनुपात में होगा. वहीं, सक्सेसिव नॉमिनेशन में, पहले नॉमिनी के उपलब्ध न होने पर दूसरे नॉमिनी को धनराशि हस्तांतरित की जाती है. यह प्रक्रिया धन के हस्तांतरण को सुनिश्चित और सरल बनाती है.
बैंक लॉकर के लिए नए नियम
नए संशोधन में बैंक लॉकर्स के लिए भी नॉमिनेशन की व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित किया गया है. बैंक लॉकर्स के मामले में केवल सक्सेसिव नॉमिनेशन की अनुमति होगी, जिससे लॉकर की सामग्री के स्वामित्व में स्पष्टता आएगी और परिवार में अनावश्यक विवाद से बचा जा सकेगा.
बैंकिंग प्रणाली और ग्राहकों पर असर
यह नया नियम बैंकिंग प्रणाली के लिए कुशलता लाएगा और ग्राहकों को अधिक संतुष्टि देगा. इससे अनक्लेम्ड डिपॉजिट की समस्या में कमी आएगी और बैंकों को अधिक पारदर्शी और उपयोगकर्ता-अनुकूल सेवाएं प्रदान करने में मदद मिलेगी. इससे ग्राहकों का विश्वास भी मजबूत होगा क्योंकि उन्हें अपने वित्तीय निर्णयों में अधिक स्वतंत्रता और सुरक्षा मिलेगी.
निष्कर्ष में, बैंकिंग नियमों में यह बदलाव न केवल तकनीकी रूप से बल्कि सामाजिक रूप से भी एक प्रगतिशील कदम है, जो व्यक्तिगत वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है और समाज में वित्तीय सुरक्षा की भावना को मजबूत करता है.