Toll Charges on National Highway: मोदी सरकार देश के टोल सिस्टम को आधुनिक और आसान बनाने के लिए एक के बाद एक बड़े कदम उठा रही है. हाल ही में सरकार ने ऐलान किया कि अब टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी. इसके बजाय, टोल सैटेलाइट के जरिए सीधे वाहन से कटेगा. इस नई व्यवस्था को कुछ स्थानों पर ट्रायल के तौर पर शुरू भी कर दिया गया है.
इस योजना का मुख्य उद्देश्य है टोल प्लाजा पर लगने वाली भीड़ को खत्म करना और लोगों के सफर को तेज और सुविधाजनक बनाना. अब सरकार ऐसे लोगों को भी राहत देने की योजना बना रही है जो लगभग रोजाना नेशनल हाइवे से गुजरते हैं.
अब मिलेगा सालाना और लाइफटाइम टोल भुगतान का विकल्प
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जानकारी दी कि सरकार जल्द ही टोल शुल्क को लेकर एक नई पॉलिसी पेश करेगी. इस पॉलिसी के तहत हाइवे से नियमित गुजरने वाले लोगों को सालाना या 15 साल की अवधि के लिए टोल भुगतान की सुविधा दी जाएगी.
इस योजना के तहत:
- सालाना टोल पास के लिए 3000 रुपये का भुगतान करना होगा.
- 15 साल के लाइफटाइम पास के लिए 30,000 रुपये की एकमुश्त राशि ली जाएगी.
इसका मतलब यह हुआ कि यदि आप किसी विशेष नेशनल हाइवे पर नियमित रूप से यात्रा करते हैं, तो बार-बार टोल देने के बजाय आप एक बार भुगतान कर लंबे समय के लिए टोल से छूट पा सकते हैं.
क्यों जरूरी है टोल चार्ज, जानिए सरकार का पक्ष
राज्यसभा में पूछे गए सवालों के जवाब में मंत्री गडकरी ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है और अच्छी सड़कें बनाने के लिए सरकार को भारी राशि खर्च करनी पड़ती है. उन्होंने कहा, “अगर आपको अच्छी सड़क चाहिए तो उसके लिए आपको कुछ भुगतान करना ही होगा.” यह बयान इस ओर इशारा करता है कि टोल को पूरी तरह हटाना फिलहाल संभव नहीं है, लेकिन इसे ज्यादा सुविधाजनक और पारदर्शी बनाने की कोशिश जरूर हो रही है.
सैटेलाइट बेस्ड टोलिंग
नई टोल प्रणाली में सरकार सैटेलाइट तकनीक के जरिए टोल वसूली करना चाहती है. इसके तहत:
- वाहन पर लगे सिस्टम से सैटेलाइट आपकी लोकेशन को ट्रैक करेगा.
- जैसे ही आपकी गाड़ी टोल क्षेत्र से गुजरेगी, आपके खाते से टोल अपने आप कट जाएगा.
- इसके लिए NavIC (Indian Regional Navigation Satellite System) और अन्य रिसीवर नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाएगा.
सरकार की मंशा है कि इस तकनीक से टोल चोरी, लंबी कतारें और मैनुअल लेनदेन जैसी समस्याओं से छुटकारा मिले.
दो टोल प्लाजा के बीच हो 60 किलोमीटर की दूरी
नितिन गडकरी ने यह भी बताया कि नेशनल हाइवे शुल्क नियम, 2008 के अनुसार एक ही हाईवे पर बने दो टोल प्लाजा के बीच कम से कम 60 किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए.
हालांकि कई स्थानों पर यह नियम ठीक से लागू नहीं हो पाया, जिससे वाहन चालकों को थोड़ी-थोड़ी दूरी पर टोल चुकाना पड़ता है. अब नई पॉलिसी में इस मुद्दे को सुलझाने की बात कही गई है.
नई टोल नीति कब आएगी?
मंत्री गडकरी ने कहा है कि संसद सत्र के बाद सरकार जल्द ही नई टोल पॉलिसी की घोषणा करेगी. इस पॉलिसी में:
- उपभोक्ताओं को टोल भुगतान में छूट दी जाएगी
- पुराने विवाद सुलझाए जाएंगे
- टोल वसूली प्रणाली को पारदर्शी और डिजिटल बनाया जाएगा
यह पॉलिसी आम जनता के लिए खास तौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होगी जो डेली या रेगुलर हाइवे पर यात्रा करते हैं.
हर साल बढ़ रहा है टोल कलेक्शन, जानिए आंकड़े
वित्तीय वर्ष 2023-24 में देशभर में टोल वसूली का आंकड़ा 64,809.86 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. यह पिछले साल की तुलना में 35 प्रतिशत ज्यादा है. इससे साफ है कि देश में सड़क नेटवर्क का तेजी से विस्तार हुआ है और टोल से होने वाली कमाई भी बढ़ी है. सरकार इस कमाई को बेहतर सड़कों और हाईवे परियोजनाओं पर खर्च कर रही है.
क्या होंगे सैटेलाइट टोलिंग के फायदे?
नई टोलिंग व्यवस्था के कई फायदे हैं:
- टोल प्लाजा पर नहीं लगानी पड़ेगी लाइन
- यात्रा में समय और ईंधन दोनों की बचत
- भुगतान में पारदर्शिता
- वाहन चालकों को राहत
- डिजिटल इंडिया मिशन को मिलेगा बढ़ावा
लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी हैं जैसे कि डेटा सुरक्षा, ऑपरेशनल नियंत्रण और सिस्टम की लागत जिन पर सरकार काम कर रही है.