Irrigation Department: हरियाणा के गांव रानीला में सिचाई विभाग की लापरवाही के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है. भागेश्वरी माइनर की टूटने से दर्जनों एकड़ सरसों और गेहूं की फसल जलमग्न हो गई. यह माइनर पहले भी कई बार टूटी थी. लेकिन विभाग की ओर से इसे ठीक नहीं किया गया. जिससे इस बार किसानों की फसलें पूरी तरह से खराब होने की कगार पर हैं. किसान इस समस्या को लेकर विभाग पर नाराजगी जता रहे हैं और उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
माइनर का टूटना और फसलों का जलमग्न होना
शनिवार की सुबह जब भागेश्वरी माइनर में पीछे से पानी छोड़ा गया, तो यह माइनर टूट गई. जैसे ही माइनर टूटी, गांव रानीला के किसान मौके पर पहुंचे और उन्होंने सिंचाई विभाग को इसकी सूचना दी. किसानों का कहना है कि पहले भी विभाग को माइनर के टूटने के बारे में सूचित किया गया था. लेकिन विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए. इसका परिणाम यह हुआ कि माइनर फिर से टूटी और इसका पानी दर्जनों एकड़ खेतों में भर गया. जिससे सरसों और गेहूं की फसलें जलमग्न हो गईं. इस स्थिति में किसानों की फसलें पकने से पहले ही खराब हो रही हैं.
किसानों की बार-बार शिकायत, विभाग का बेपरवाह रवैया
किसानों का आरोप है कि सिंचाई विभाग को बार-बार माइनर के टूटने की जानकारी दी गई थी. लेकिन विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया. पिछले बार भी माइनर टूटने से सरसों और गेहूं की फसल को दोबारा से बिजाई करनी पड़ी थी. अब फसल पकने की स्थिति में थी. लेकिन फिर से माइनर टूटने के कारण पानी भर गया, जिससे फसल खराब हो गई. किसानों ने यह भी कहा कि अगर माइनर को समय रहते ठीक किया गया होता, तो आज उन्हें यह नुकसान नहीं उठाना पड़ता. इसके साथ ही किसानों ने सरकार और प्रशासन से उचित मुआवजा की मांग की है. ताकि उनके नुकसान की भरपाई हो सके.
सिंचाई विभाग का हलका रवैया
सिंचाई विभाग के जेई विकास दहिया ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि माइनर को पहले ठीक किया गया था, लेकिन पानी आने पर माइनर टूटने की घटना घटी है. उन्होंने कहा कि विभाग ने माइनर के पानी को रोकने के लिए कदम उठाए हैं और जल्द ही माइनर को फिर से पाटने का काम शुरू कर दिया जाएगा. हालांकि, किसानों का कहना है कि यह हलका रवैया उनके लिए और भी समस्या का कारण बन गया है. क्योंकि नुकसान पहले से ही हो चुका है.
मुआवजे की मांग
किसानों ने अब सरकार और प्रशासन से मुआवजे की मांग की है. उनका कहना है कि माइनर के टूटने से हुए नुकसान के कारण उनकी फसलें खराब हो रही हैं और उन्हें दोबारा से फसल की बिजाई करनी पड़ सकती है. इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकार को मुआवजा देना चाहिए. किसानों ने यह भी कहा कि अगर विभाग ने समय रहते माइनर की मरम्मत की होती, तो आज यह स्थिति नहीं होती.
प्रशासन की जिम्मेदारी और किसानों की चिंता
किसानों का कहना है कि यह उनका हक है कि उनकी फसल सुरक्षित रहे और उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े. प्रशासन और सिंचाई विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि वह समय रहते समस्याओं का समाधान करें, ताकि किसानों को ऐसे नुकसान का सामना न करना पड़े. अगर विभाग किसानों की समस्याओं का समाधान जल्द नहीं करता है, तो इससे किसानों का विश्वास भी उठ सकता है.
क्या कहना है प्रशासन का?
सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि माइनर की मरम्मत का काम जल्दी शुरू किया जाएगा. हालांकि किसानों का कहना है कि यह देर से उठाया गया कदम है. अगर माइनर को समय रहते ठीक किया गया होता, तो इस प्रकार के नुकसान से बचा जा सकता था. अब भी किसान अपनी फसलें बचाने के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं और विभाग से शीघ्र कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं.
किसानों की उम्मीद और भविष्य
किसान अब अपनी मेहनत से उगी फसल को बचाने के लिए प्रशासन से मुआवजा और सहायता की उम्मीद कर रहे हैं. अगर समय रहते उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो इसका असर केवल उनकी आज की फसल पर नहीं, बल्कि भविष्य में होने वाली फसलों पर भी पड़ सकता है. किसान सरकार और प्रशासन से यह अपेक्षा करते हैं कि वे उनकी समस्याओं को गंभीरता से लें और शीघ्र समाधान करें.