Land Rules: हिमाचल प्रदेश में जमीनों के रिकॉर्ड को और अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए राजस्व विभाग ने बदलाव किया है. अब तक जमीनों की ई-केवाईसी प्रक्रिया खाते के आधार पर की जा रही थी, जिसमें खाते के एक मालिक की ई-केवाईसी होने से पूरे खाते को सत्यापित मान लिया जाता था. लेकिन इस प्रक्रिया में खामियों के चलते अन्य सह-मालिकों की जानकारी अधूरी रह जाती थी जिससे सत्यापन में विसंगतियां आती थीं. इसलिए, अब प्रत्येक भूमि मालिक को अलग से अपनी ई-केवाईसी करवानी अनिवार्य हो गई है.
बदलाव का मुख्य कारण
डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) के अंतर्गत यह पहल की गई है. पहले की गई प्रक्रिया में कई तरह की विसंगतियां पाई गईं थीं, जिसे दूर करने के लिए यह नया बदलाव लागू किया गया है. इस नई व्यवस्था से अब हर भूमि मालिक की स्पष्ट पहचान हो सकेगी और उनका व्यक्तिगत सत्यापन सुनिश्चित हो सकेगा.
नई व्यवस्था की प्रगति
नई व्यवस्था के तहत, हिमाचल प्रदेश में अब तक केवल 27% भूमि मालिकों की ई-केवाईसी पूरी हो पाई है. पुरानी प्रक्रिया के तहत यह आंकड़ा 60% से अधिक था, जिससे स्पष्ट होता है कि नई प्रक्रिया में समय और अधिक लग रहा है. यह व्यवस्था हर भूमि मालिक से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करने की मांग करती है, जिससे इसकी प्रगति में कुछ विलंब हो रहा है.
जिलावार प्रगति की जानकारी
जिलावार देखें तो, किन्नौर जिले में ई-केवाईसी की प्रगति सबसे अच्छी रही है जहां 44% का कार्य पूरा हो चुका है, जबकि कांगड़ा और शिमला जिले में यह दर केवल 22% है. इससे स्पष्ट होता है कि कुछ जिलों में यह कार्य तेजी से हो रहा है, जबकि कुछ में अभी भी इसमें तेजी लाने की आवश्यकता है.