Public Holiday: केंद्र सरकार ने भारतीय संविधान के निर्माता और सामाजिक न्याय के प्रबल समर्थक, डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल (सोमवार) को सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया है. यह निर्णय देशभर के केंद्रीय दफ्तरों और औद्योगिक संस्थानों में लागू होगा. इस कदम को केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बाबा साहेब के प्रति मोदी सरकार की श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक बताया है.
बाबा साहेब की विरासत और भारतीय समाज पर असर
डॉ. भीमराव आंबेडकर, जिन्हें बाबा साहेब के नाम से भी जाना जाता है ने भारतीय संविधान की रचना में महत्वपूर्ण योगदान दिया और समाज के हर वर्ग विशेषकर दलित और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी. उनके जीवन और कार्यों ने समाजिक बराबरी और न्याय के प्रति जागरूकता बढ़ाने में अत्यधिक योगदान दिया है. उनकी जयंती को सार्वजनिक अवकाश घोषित करना उनके योगदान को एक राष्ट्रीय सम्मान प्रदान करता है.
सार्वजनिक अवकाश की घोषणा
14 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने का निर्णय भारतीय समाज में गहरा प्रभाव डालेगा. यह न केवल बाबा साहेब के योगदान को याद करने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह भारतीयों को उनके द्वारा निर्मित संविधान के महत्व को समझने का भी अवसर देता है. स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी संस्थानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं जो युवाओं में उनके आदर्शों को प्रेरित कर सकते हैं.
केंद्रीय मंत्री की प्रतिक्रिया और समाज में प्रतिध्वनि
केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का यह कहना कि यह निर्णय बाबा साहेब के प्रति मोदी सरकार की श्रद्धा का प्रतीक है, समाज के सभी वर्गों में सकारात्मक प्रतिक्रिया जगा रहा है. इस निर्णय को व्यापक रूप से समाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक प्रगतिशील कदम के रूप में देखा जा रहा है.
समाज में इस निर्णय की प्रासंगिकता
इस निर्णय की घोषणा से भारतीय समाज में डॉ. आंबेडकर के सिद्धांतों के प्रति जागरूकता और समर्थन में बढ़ोतरी होगी. यह भारत के लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति और अधिक सजग बनाएगा और एक अधिक समतामूलक समाज की दिशा में कदम बढ़ाने में मदद करेगा.