ITI Bus Pass: हरियाणा के परिवहन विभाग ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय लेते हुए राज्य की इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स (आईटीआई) में पढ़ रहे करीब 40 हजार विद्यार्थियों के लिए मुफ्त बस सफर की सुविधा बंद कर दी है. इस फैसले से न केवल विद्यार्थियों में निराशा की लहर है, बल्कि उनके शैक्षणिक खर्च में भी वृद्धि होगी.
इन स्टूडेंट्स पर पड़ेगा असर
इस निर्णय का प्रभाव उन सभी विद्यार्थियों पर पड़ेगा जो नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग (NCVT) के तहत विभिन्न ट्रेड्स में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. इसमें करीब 20 हजार छात्राएं भी शामिल हैं, जिन्हें अब अपनी जेब से बस पास के लिए शुल्क अदा करना होगा.
सरकारी और निजी आईटीआई की संख्या
हरियाणा में कुल 380 राजकीय और निजी आईटीआई संस्थान हैं, जहां 69 हजार 437 विद्यार्थी वर्तमान में पढ़ रहे हैं. इसमें से 54 हजार 752 विद्यार्थी राजकीय आईटीआई में और 14 हजार 682 विद्यार्थी निजी आईटीआई में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.
नया नियम क्या कहता है
इस नए नियम के अनुसार, अब एनसीवीटी और एससीवीटी (State Council for Vocational Training) दोनों के तहत आने वाली ट्रेड्स में प्रशिक्षण ले रहे विद्यार्थियों को बस पास के लिए शुल्क अदा करना होगा. यह निर्णय विशेष रूप से एनसीवीटी के तहत आने वाली ट्रेड्स के लिए लागू होता है, जिन्हें केंद्र सरकार मान्यता प्रदान करती है, जबकि एससीवीटी प्रदेश सरकार के अधीन आती है.
प्रशिक्षुओं पर पड़ने वाला असर
इस निर्णय के बाद, विद्यार्थियों को अब अपने दैनिक आवागमन के लिए अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा. यह खासकर उन विद्यार्थियों के लिए चिंता का विषय है जिनके पास सीमित आय है और जो अपनी शिक्षा के लिए सरकारी सहायता पर निर्भर हैं.
सरकार की नीति और आगे की राह
सरकार ने इस निर्णय को लेते समय यह स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी बनाना है. हालांकि, इस निर्णय के प्रति विद्यार्थियों और उनके परिवारों से मिल रही प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि सरकार को विद्यार्थियों की वित्तीय कठिनाइयों का भी ध्यान रखना चाहिए. आगे चलकर यह देखना होगा कि सरकार इस समस्या का समाधान किस प्रकार से करती है और क्या वे विद्यार्थियों के हित में कोई नई नीतियां लागू करते हैं या नहीं.
इस फैसले का असर न केवल आईटीआई विद्यार्थियों पर पड़ेगा बल्कि यह उनके भविष्य की शैक्षणिक यात्रा पर भी एक बड़ा प्रभाव डालेगा. अतः सरकार और सम्बंधित विभागों को इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है.