Haryana News: हरियाणा सरकार ने अपने कुम्हार समुदाय के विकास के लिए एक नई पहल की घोषणा की है. माटी कला बोर्ड के माध्यम से, सरकार ने कुम्हारों को आधुनिक तकनीक और साधन सुलभ कराने का निर्णय लिया है. यह प्रयास गुजरात सरकार के उस मॉडल पर आधारित है, जिसने पिछले दशक में वहाँ के कुम्हारों और मिट्टी कला को विशेष पहचान दिलाई है.
गुजरात मॉडल की प्रेरणा
गुजरात मॉडल ने मिट्टी के बर्तनों और हस्तशिल्प कला को नया जीवन दिया है. इस मॉडल के तहत, कुम्हारों को नई तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया और उनके उत्पादों को बाजार में बेहतर मूल्य मिला. हरियाणा सरकार ने इसी तर्ज पर अपने माटी कला बोर्ड को सजीव किया है, जिससे कुम्हार समुदाय को नए आयाम मिल सकें.
आधुनिक तकनीक और सुविधाएं
हरियाणा के माटी कला बोर्ड ने कुम्हारों को उन्नत उपकरण उपलब्ध कराने की योजना बनाई है. इसमें सोलर और इलेक्ट्रिक चाक के साथ काम करने की विधि शामिल है, जो परंपरागत चाक की तुलना में अधिक कुशल और कम समय लेने वाली होती है. इससे कुम्हारों की कार्यक्षमता में वृद्धि होगी और उनके उत्पादन की मात्रा भी बढ़ेगी.
आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण
हरियाणा के माटी कला बोर्ड द्वारा कुम्हारों को आर्थिक सहायता के रूप में लोन की सुविधा दी जाएगी, जिसमें 50 लाख रुपये तक की राशि शामिल है. इसके अलावा, कुम्हारों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा ताकि वे नई तकनीकों को सीख सकें और अपने उत्पादों को और अधिक बाजारीय बना सकें.
बाजार में पहुँच और नई तकनीक
कुम्हारों के उत्पादों की बाजार में पहुंच बढ़ाने के लिए, माटी कला बोर्ड प्रचार सहायता के नए तरीके भी खोज रहा है. इससे कुम्हार समुदाय को अपने उत्पादों को व्यापक बाजार में पेश करने का मौका मिलेगा. साथ ही, बोर्ड नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कुम्हारों को नई डिजाइन और शैलियों की शिक्षा देगा, जिससे उनके उत्पाद और अधिक आकर्षक और प्रयोगात्मक बन सकें.
कुम्हारों का भविष्य और हरियाणा की प्रतिबद्धता
हरियाणा सरकार की यह पहल न केवल कुम्हारों के वर्तमान को संवारेगी बल्कि उनके भविष्य के लिए भी एक सुनहरा अवसर प्रदान करेगी. माटी कला बोर्ड के इस प्रयास से न केवल आर्थिक स्थिरता आएगी, बल्कि सामाजिक सम्मान में भी वृद्धि होगी. इसके माध्यम से हरियाणा अपने पारंपरिक कला और शिल्प को नई दिशा देने का काम कर रहा है, जो न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल साबित हो सकता है.