Haryana News: स्कूली शिक्षा के बाद का चरण एक छात्र के जीवन में काफी महत्वपूर्ण होता है. विशेषकर 10वीं कक्षा के बाद स्ट्रीम चयन उनके भविष्य की दिशा निर्धारित करता है. निजी स्कूलों में जहाँ यह सुविधा अच्छे से उपलब्ध है, वहीं सरकारी स्कूलों में यह एक चुनौती बनी हुई है. इसी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने साइकोमेट्रिक टेस्ट की पहल की है जिससे छात्राओं को उनकी रुचियों और क्षमताओं के अनुसार सही स्ट्रीम का चयन करने में मदद मिल सके.
टेस्ट की आवश्यकता और प्रक्रिया
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राएं अक्सर सही मार्गदर्शन के अभाव में अपने सहपाठियों के देखा-देखी स्ट्रीम चुन लेती हैं. इससे उन्हें बाद में कई बार पछतावा होता है. साइकोमेट्रिक टेस्ट से छात्राओं की व्यक्तिगत रुचियों, मानसिक क्षमताओं और व्यक्तित्व का पता चलता है जो उन्हें उनके अनुकूल स्ट्रीम चुनने में मदद करता है.
राज्यव्यापी टेस्ट का आयोजन
शिक्षा विभाग ने इस योजना के तहत राज्यभर के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली 93,819 छात्राओं के लिए साइकोमेट्रिक टेस्ट (educational reform) का आयोजन किया है. इस टेस्ट के माध्यम से छात्राओं को व्यक्तिगत रूप से करियर मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा, जिससे वे अपने भविष्य के लिए सही और सटीक निर्णय ले सकेंगी.
वित्तीय आवंटन और प्रशिक्षण
इस पहल के लिए विभाग ने प्रत्येक जिले के लिए आवश्यक फंड जारी किया है. लुधियाना जिले के लिए 66,17,800 रुपये की विशेष राशि जारी की गई है, जिससे वहाँ की 9,454 छात्राओं का मार्गदर्शन किया जा सके. इस प्रकार की योजना से समाज में शिक्षा की गुणवत्ता और छात्राओं के भविष्य सुधारने की दिशा में एक सकारात्मक कदम साबित होगा.