Land Division: हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों और जमीन के सह-स्वामियों को राहत देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. अब पति-पत्नी को छोड़कर सभी खून के रिश्तेदारों के बीच भी साझी जमीन का कानूनी बंटवारा संभव हो सकेगा. यह फैसला वीरवार को हरियाणा विधानसभा में लिए गए एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत आया है.
इस नए कानून का नाम है हरियाणा भू-राजस्व (संशोधन) विधेयक जिसे राज्य के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने विधानसभा में पेश किया. इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि खून के रिश्तों में भी, जैसे भाई-भाई, पिता-बेटा, चाचा-भतीजा आदि, जमीन के झगड़ों को खत्म किया जा सके.
पुराने कानून में थी बड़ी खामी, जिससे बढ़े मुकदमे
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार के समय सालों पहले इस समस्या को हल करने के लिए कानून में धारा 111-क जोड़ी गई थी. लेकिन उसमें एक बड़ी खामी यह थी कि खून के रिश्तेदारों और पति-पत्नी को इस कानून से बाहर रखा गया था.
इस कारण जो लोग आपस में खून के रिश्ते में थे. वे आपसी सह-स्वामी होते हुए भी जमीन का बंटवारा नहीं करवा पाते थे. इससे नतीजा ये हुआ कि राज्य भर में जमीन के बंटवारे को लेकर मुकदमों की बाढ़ आ गई.
कोर्ट में लंबित हैं एक लाख से अधिक मामले
विधेयक पेश करते हुए मंत्री विपुल गोयल ने बताया कि प्रदेश में 14 से 15 लाख किसान ऐसे हैं, जो साझा जमीन की परेशानी से जूझ रहे हैं.
राज्य की सहायक कलेक्टर और तहसीलदार स्तर की अदालतों में एक लाख से भी अधिक केस जमीन के बंटवारे को लेकर चल रहे हैं. जिनमें अधिकतर केस खून के रिश्तेदारों के बीच साझा भूमि को लेकर हैं.
नए कानून के बाद इन मामलों में बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, जिससे अदालतों का बोझ भी घटेगा और लोगों के विवाद भी सुलझेंगे.
पति-पत्नी को छोड़कर सभी रिश्तेदार आएंगे दायरे में
संशोधित कानून में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि पति-पत्नी को छोड़कर सभी खून के रिश्तेदारों पर यह नियम लागू होगा.
अब अगर किसी साझी जमीन का मालिक खून का रिश्तेदार है, तो वह कानूनी रूप से अपनी हिस्सेदारी का बंटवारा करवा सकेगा.
इसके लिए राजस्व अधिकारी सबसे पहले यह जांच करेंगे कि जमीन के अन्य सह-स्वामी भी बंटवारे के इच्छुक हैं या नहीं. अगर हां तो उन्हें भी इस प्रक्रिया में जोड़ा जाएगा.
सहमति से बंटवारे की समय सीमा तय
नए कानून के तहत, सभी सह-स्वामित्वकर्ताओं को नोटिस जारी होने की तिथि से छह महीने के भीतर बंटवारे का समझौता (राजीनामा) पेश करना होगा.
अगर सभी साझेदार इस अवधि में सहमत हो जाते हैं, तो राजस्व अधिकारी धारा 111-क (3) के तहत उनका बंटवारा धारा 123 के प्रावधानों के अनुसार दर्ज कर देंगे.
अगर यह सहमति छह महीने में नहीं बनती, तो अधिकारी उन्हें और छह महीने का समय दे सकते हैं.
सहमति नहीं बनी तो भी होगा बंटवारा
अगर छह महीने की अतिरिक्त समयसीमा में भी सभी सह-मालिक आपसी सहमति से जमीन का बंटवारा नहीं कर पाते, तो मामले की सुनवाई सहायक कलेक्टर एवं तहसीलदार की कोर्ट में की जाएगी.
कोर्ट यह सुनिश्चित करेगी कि जमीन का उचित और कानूनी बंटवारा हो. इसके लिए उन्हें छह महीने का समय दिया गया है, ताकि बिना देरी के विवादों का समाधान किया जा सके.
किसानों के लिए बड़ा फायदा, अब नहीं भटकना पड़ेगा कोर्ट-कचहरी
यह नया कानून हरियाणा के लाखों किसानों और परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है. अब उन्हें साझा जमीन के बंटवारे के लिए सालों तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे.
सरकार का मानना है कि इससे गांवों में पारिवारिक झगड़े भी कम होंगे और भाईचारा मजबूत होगा.
भूमि संबंधी मामलों के निपटारे में आने वाली जटिलताओं को दूर करने में यह कानून मील का पत्थर साबित हो सकता है.
जमीन विवादों में आएगी तेजी से कमी
हरियाणा सरकार का यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि राज्य में जमीन को लेकर झगड़े आम बात हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में.
अब तक यह देखा गया है कि भाई-भाई या अन्य खून के रिश्तेदार अगर एक ही जमीन के हिस्सेदार होते थे, तो वे कानूनी रूप से बंटवारे की मांग नहीं कर सकते थे.
इस वजह से अनेक परिवारों में तनाव और विवाद बढ़ते थे. लेकिन अब नया कानून उन्हें न्यायपूर्ण समाधान का रास्ता देगा.