Green Number Plate Vehicle: दुनिया में इंसानों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ गाड़ियों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। आज लगभग हर चौथे व्यक्ति के पास अपनी गाड़ी है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गाड़ियों पर अलग-अलग रंग की नंबर प्लेट क्यों लगाई जाती है? इन नंबर प्लेटों के रंगों का क्या मतलब होता है और इनका इस्तेमाल कहां-कहां होता है? आइए, जानते हैं इसके पीछे की खास वजह।
दुनिया में गाड़ियों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफा
एक रिपोर्ट के मुताबिक, धरती पर कारों की संख्या 1.446 बिलियन तक पहुंच चुकी है। वहीं, दुनिया की कुल जनसंख्या लगभग 8 बिलियन है। इसका मतलब है कि लगभग हर 19 में से 1 व्यक्ति के पास एक गाड़ी है। भारत जैसे देशों में गाड़ियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस बढ़ती संख्या के साथ ट्रैफिक और गाड़ियों की पहचान के लिए नंबर प्लेटों का सही और स्पष्ट होना बेहद जरूरी है।
हरे रंग की नंबर प्लेट का महत्व
हरे रंग की नंबर प्लेट मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए होती है। यह प्लेट उन गाड़ियों पर लगाई जाती है, जो पेट्रोल या डीजल के बजाय बैटरी से चलती हैं। सरकार ने यह पहल पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए शुरू की है, ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित किया जा सके और प्रदूषण को कम किया जा सके।
- कानूनी प्रावधान: अगर कोई डीजल या पेट्रोल गाड़ी हरे रंग की नंबर प्लेट का उपयोग करती है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
- विशेष सुविधाएं: इलेक्ट्रिक वाहनों को टैक्स और पार्किंग में रियायतें मिलती हैं।
पीले रंग की नंबर प्लेट: कमर्शियल वाहनों के लिए खास
पीले रंग की नंबर प्लेट कमर्शियल वाहनों जैसे टैक्सी, ऑटो और मालवाहक गाड़ियों पर लगाई जाती है।
- ड्राइवर के लिए नियम: इन वाहनों के ड्राइवरों के पास कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य है।
- कर और नियम: कमर्शियल वाहनों के लिए टैक्स की दर प्राइवेट वाहनों से अलग होती है।
सफेद नंबर प्लेट: पर्सनल वाहनों की पहचान
भारत में सफेद रंग की नंबर प्लेट सबसे सामान्य होती है। यह प्लेट उन गाड़ियों पर लगती है, जो पर्सनल उपयोग के लिए होती हैं।
- डिज़ाइन: सफेद पर काले रंग की संख्या लिखी जाती है।
- उपयोग: यह प्लेट उन वाहनों के लिए होती है, जिनका उपयोग केवल पर्सनल कार्यों के लिए किया जाता है, जैसे कि घर से ऑफिस आना-जाना।
नीली नंबर प्लेट: सरकारी और दूतावासीय वाहनों के लिए
नीले रंग की नंबर प्लेट मुख्य रूप से विदेशी दूतावासों और सरकारी वाहनों के लिए होती है।
- संख्या और कोड: इस प्लेट पर सफेद रंग से संख्या लिखी जाती है, जिसमें विशेष कोड जैसे “CC” (काउंसलर कोर), “UN” (यूनाइटेड नेशंस) और “CD” (कूटनीतिक) होता है।
- स्पेशल राइट्स: इन वाहनों को ट्रैफिक नियमों में कुछ विशेष छूट मिलती है।
लाल और काली नंबर प्लेट का उपयोग
- लाल नंबर प्लेट: यह प्लेट उन वाहनों पर लगाई जाती है, जो अभी तक पंजीकरण की प्रक्रिया में हैं। नई गाड़ियों पर अस्थायी नंबर के लिए लाल प्लेट पर सफेद रंग की संख्या होती है।
- काली नंबर प्लेट: यह प्लेट किराए पर चलने वाले निजी वाहनों के लिए होती है। इन गाड़ियों को बिना कमर्शियल लाइसेंस के किराए पर दिया जा सकता है।
पर्यावरण संरक्षण और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा
हरे रंग की नंबर प्लेट के जरिए सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित कर रही है। इससे न केवल प्रदूषण कम होगा, बल्कि पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता भी घटेगी।
- सरकार की पहल: कई राज्यों में इलेक्ट्रिक वाहनों को रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क से छूट दी गई है।
- भविष्य का लक्ष्य: 2030 तक सरकार का लक्ष्य है कि भारत में अधिकतर वाहन इलेक्ट्रिक हो जाएं।
नंबर प्लेट से जुड़े नए नियम
- हाई-सिक्योरिटी नंबर प्लेट (HSRP): सरकार ने वाहनों के लिए हाई-सिक्योरिटी नंबर प्लेट अनिवार्य कर दी है। यह प्लेट चोरी रोकने और गाड़ियों की सही पहचान के लिए जरूरी है।
- फैंसी नंबर प्लेट पर रोक: फैंसी नंबर प्लेट का उपयोग गैरकानूनी है और ऐसा करने पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।