Public Holiday: छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने 13 जनवरी 2025 को स्थानीय अवकाश घोषित किया है. इस दिन सभी सरकारी कार्यालय, निजी स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे. 13 जनवरी को छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पुन्नी का पर्व मनाया जाएगा. जिसे दान-पुण्य और उल्लास के लिए जाना जाता है. यह त्योहार प्रदेश में विशेष महत्व रखता है और इसे लेकर सरकारी स्तर पर छुट्टी की घोषणा की गई है.
छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्योहार
छेरछेरा पुन्नी पौष पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस त्योहार का संबंध दान-पुण्य से है. यह पर्व छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और शहरी इलाकों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग अन्न, धन और वस्त्र का दान करते हैं. बच्चों से लेकर बड़े तक सभी इस दिन घर-घर जाकर दान प्राप्त करते हैं. माना जाता है कि इस दिन दान करने से घर में सुख-समृद्धि आती है.
“धन नहीं, धान का होता है दान”
छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पुन्नी के दौरान यह कहावत बहुत प्रसिद्ध है. इसका मतलब है कि इस दिन अन्न का दान अधिक महत्व रखता है. बच्चे और युवा टोली बनाकर घर-घर जाकर अन्न मांगते हैं और इसे सामूहिक भोज के लिए इकट्ठा किया जाता है. इस परंपरा को निभाने से समुदाय में आपसी भाईचारे और सहयोग की भावना बढ़ती है.
2025 में ऐच्छिक अवकाश की पात्रता
छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने वर्ष 2025 के लिए ऐच्छिक अवकाश की सूची भी जारी की है. सरकारी कर्मचारियों को साल में तीन ऐच्छिक अवकाश का लाभ मिलेगा. इनमें से कर्मचारी अपनी इच्छानुसार किसी भी तीन तिथियों पर अवकाश ले सकते हैं. इस साल के ऐच्छिक अवकाश में छेरछेरा पुन्नी, मकर संक्रांति, हरेली जैसे त्योहार शामिल हैं.
सार्वजनिक अवकाश की सूची
छत्तीसगढ़ में 2025 के लिए कई प्रमुख त्योहारों और जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किए गए हैं. इनमें महाशिवरात्रि (26 फरवरी), होली (14 मार्च), ईद-उल-फितर (31 मार्च), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), दशहरा (2 अक्टूबर), दीपावली (20 अक्टूबर) और क्रिसमस (25 दिसंबर) शामिल हैं. यह सूची सरकारी कर्मचारियों और छात्रों के लिए राहतभरी खबर है.
छेरछेरा त्योहार की परंपराएं
छेरछेरा पुन्नी के दिन गांवों और शहरों में अलग-अलग परंपराओं का पालन किया जाता है. बच्चे सुबह-सुबह घरों में जाकर “छेरछेरा, माई कोठी के धान ल हेरहेरा” कहते हैं. इसका अर्थ है कि वे दान में धान या अनाज मांग रहे हैं. लोग खुशी-खुशी उन्हें धान, अनाज या पैसे दान करते हैं. यह त्योहार सामुदायिक एकता और समर्पण का प्रतीक है.
मां शाकंभरी जयंती का महत्व
छेरछेरा पुन्नी के साथ ही 13 जनवरी को मां शाकंभरी जयंती भी मनाई जाती है. मां शाकंभरी को अन्नपूर्णा देवी का अवतार माना जाता है. इस दिन श्रद्धालु देवी मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं और भोग लगाते हैं. यह दिन अन्न और समृद्धि के प्रति आभार प्रकट करने का होता है.
आगामी प्रमुख अवकाश
छत्तीसगढ़ में जनवरी के बाद फरवरी और मार्च में भी कई महत्वपूर्ण त्योहारों पर अवकाश रहेगा. इनमें 26 फरवरी को महाशिवरात्रि, 14 मार्च को होली और 31 मार्च को ईद-उल-फितर प्रमुख हैं. यह सभी अवकाश न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं. बल्कि लोगों को अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का अवसर भी प्रदान करते हैं.
13 जनवरी का महत्व
छत्तीसगढ़ में 13 जनवरी का दिन केवल अवकाश तक सीमित नहीं है. बल्कि इसे सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद खास माना जाता है. दान करने की यह परंपरा सामाजिक समानता और सहानुभूति की भावना को बढ़ावा देती है. यह दिन समाज में एकजुटता का संदेश देता है.
किसानों के लिए खास है छेरछेरा पुन्नी
छेरछेरा पुन्नी किसानों के लिए भी खास दिन होता है. इस दिन किसान अपनी नई फसल का अंश दान करते हैं और अच्छी फसल के लिए भगवान का धन्यवाद करते हैं. यह परंपरा न केवल आध्यात्मिक संतुष्टि देती है. बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी को भी दर्शाती है.