Train Diesel Tank: भारत में लंबी दूरी की यात्रा के लिए रेलगाड़ी का उपयोग सबसे अधिक किया जाता है. यात्री सुरक्षा और किफायती लागत के कारण रेलयात्रा को प्राथमिकता देते हैं. यह न केवल यात्रा को आसान बनाता है बल्कि बड़ी संख्या में यात्रियों को एक साथ यात्रा करने का अवसर देना है.
रेलगाड़ी की टंकी की खासियत
रेलगाड़ियों में डीजल टैंक का आकार और उसकी क्षमता यात्रा के दौरान अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है. चूंकि रेलगाड़ियां बिना रुके लंबी दूरियां तय करती हैं, इसलिए इन्हें बड़ी मात्रा में डीजल की आवश्यकता होती है. इस बड़े टैंक को पेट्रोल पंप की तुलना में विशेष शक्तिशाली डीजल पंपों की सहायता से भरा जाता है.
रेलगाड़ियों में ईंधन की खपत
रेलगाड़ियां आमतौर पर प्रति किलोमीटर के हिसाब से ईंधन की खपत करती हैं. उदाहरण के लिए, एक सामान्य पैसेंजर ट्रेन जिसमें 12 डिब्बे होते हैं, प्रति किलोमीटर लगभग 6 लीटर डीजल का उपयोग करती है. वहीं, एक उच्च गति वाली एक्सप्रेस ट्रेन प्रति किलोमीटर केवल 4.5 लीटर डीजल का उपयोग करती है क्योंकि इसमें अधिक कुशल इंजन प्रणाली स्थापित होती है.
डीजल टैंक की क्षमता और ईंधन भरने की प्रक्रिया
ट्रेनों के ईंधन टैंक आमतौर पर 5,000 से 6,000 लीटर की क्षमता रखते हैं. ये टैंक इतने बड़े होते हैं कि लंबी दूरी की यात्रा के दौरान बिना रुके सुचारू रूप से यात्रा संभव हो सके. डीजल टैंक की इस विशाल क्षमता के कारण ही रेलगाड़ी बिना किसी रुकावट के देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ पाती है.
ईंधन की खपत में कमी लाने के उपाय
ईंधन की खपत को कम करने के लिए रेलवे विभिन्न उपाय कर रहा है, जैसे कि अधिक कुशल इंजनों का उपयोग और स्टार्ट और स्टॉप की प्रक्रिया को कम करना. एक्सप्रेस ट्रेनें कम स्टेशनों पर रुकती हैं, जिससे उनकी ईंधन दक्षता बढ़ जाती है और वे अधिक दूरी तय कर सकती हैं.