IAS Suspend Rules: यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा भारत में सबसे कठिन और जानी मानी परीक्षाओं में से एक मानी जाती है. हर वर्ष देश भर के लाखों युवा इस परीक्षा को पास करने और आईएएस या आईपीएस जैसे बड़े प्रशासनिक पदों पर सेवा करने का सपना देखते हैं. आईएएस अधिकारी न केवल एक जिले के प्रशासन को संभालते हैं बल्कि वे राष्ट्रीय विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
आईएएस को सस्पेंड करने की प्रक्रिया
यद्यपि आईएएस अधिकारी उच्च पद पर नियुक्त होते हैं, उन्हें सस्पेंड करने की शक्ति भी उतनी ही गंभीर और महत्वपूर्ण है. सस्पेंशन का अधिकार मुख्य रूप से राज्य सरकार के पास होता है. हालांकि, यह अधिकार विशेष परिस्थितियों में ही इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि जब अधिकारी भ्रष्टाचार या किसी गंभीर अपराध में शामिल पाया जाता है.
जब आईएएस की नौकरी पर बन आती है
अनुच्छेद 311(2) के अनुसार, यदि कोई आईएएस अधिकारी किसी गंभीर आरोप में दोषी पाया जाता है, तो उसे न केवल सस्पेंड किया जा सकता है, बल्कि उसकी नौकरी से भी हटाया जा सकता है. यह एक गंभीर कार्रवाई है जिसे केवल सबसे गंभीर मामलों में ही लागू किया जाता है.
सस्पेंशन की औपचारिकताएँ
जब किसी आईएएस अधिकारी को सस्पेंड किया जाता है, तो राज्य सरकार को 48 घंटे के भीतर कैडर कंट्रोल अथॉरिटी को सूचित करना होता है. इसके साथ ही, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को भी सूचना देनी होती है और संबंधित मंत्री से मंजूरी लेनी होती है.
अधिकारी की नौकरी से निकालने की अंतिम शक्ति
वहीं, अगर सस्पेंशन 30 दिनों से अधिक समय तक जारी रखने की आवश्यकता होती है, तो राज्य सरकार को केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होती है. इसके अलावा, अगर किसी आईएएस, आईआरएस, या आईएफएस अधिकारी को नौकरी से निकालने की बात आती है, तो यह अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास होता है. प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या यूपीएससी इस तरह के निर्णय लेने की शक्ति नहीं रखते.