Property Rule: मकान या प्रॉपर्टी खरीदना सिर्फ एक आर्थिक लेन-देन नहीं है, बल्कि इसमें कई जटिलताएँ और कानूनी पहलू शामिल होते हैं. इस प्रक्रिया में ज्यादा पैसा और समय की आवश्यकता होती है, और फर्जीवाड़े के आम होने के कारण, सही जानकारी और सावधानी अत्यंत आवश्यक हैं. इससे आपका निवेश सुरक्षित रहेगा और भविष्य में किसी भी प्रकार की समस्या से बचाव होगा.
नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट का महत्व
जब बात प्रॉपर्टी खरीदने की आती है, तो नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट (Non Encumbrance Certificate) का महत्व बहुत बड़ा होता है. यह सर्टिफिकेट यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति पर कोई भी कानूनी बाधा या बकाया न हो. खासकर दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में, जहां अधिकतर फ्लैट या मकान बिल्डर्स से खरीदे जाते हैं, यह जानकारी बिल्कुल अनिवार्य होती है.
इस सर्टिफिकेट की विशेषताएं
नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट में एक निर्धारित अवधि के दौरान संपत्ति से जुड़े सभी लेन-देन की जानकारी होती है. आमतौर पर यह दस्तावेज 12 साल के लेनदेन की जानकारियां रखता है, जिससे संपत्ति का पूरा इतिहास पता चलता है. इस सर्टिफिकेट की मदद से आप संपत्ति पर लोन लेने या बेचने जैसी आगामी योजनाओं के लिए तैयारी कर सकते हैं.
सर्टिफिकेट लेने की प्रक्रिया
नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए आपको तहसीलदार कार्यालय में जाकर एक फॉर्म भरना पड़ेगा. इस फॉर्म में संपत्ति के सर्वे नंबर और स्थान के साथ-साथ अन्य विवरण दर्ज करने होते हैं. फॉर्म जमा करने के बाद, सर्टिफिकेट प्राप्त करने में आमतौर पर 20 से 30 दिन लगते हैं.
सर्टिफिकेट के लिए निर्धारित फीस
नॉन एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट के लिए निर्धारित फीस उसकी अवधि के आधार पर होती है. फीस का भुगतान करते समय, आपको ध्यान रखना चाहिए कि सर्टिफिकेट की मान्यता वित्त वर्ष के अंत तक होती है. इसलिए, समय और आवश्यकता के अनुसार सही अवधि का चयन करना जरूरी है.