Mustard Oil Price Hike: पिछले एक साल में सरसों के तेल के दाम में आई भारी बढ़ोतरी ने आम आदमी की रसोई का बजट पूरी तरह से बिगाड़ दिया है. जहां एक समय सरसों के तेल की कीमतें 100 से 110 रुपए प्रति लीटर के बीच थीं वहीं अब यह 150 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गई हैं. सरसों की बढ़ती कीमतों ने न केवल रसोई का खर्च बढ़ाया है बल्कि आम जन-जीवन पर भी इसका गहरा असर पड़ा है.
खाद्य तेलों के दामों में बढ़ोतरी के कारण
हाल ही में अमेरिका द्वारा भारत पर ज्यादा टैरिफ लगाने की घोषणा की गई है, जिससे खाद्य तेलों के आयात में व्यवधान आ रहा है. इस नई नीति के कारण, भारत में खाद्य तेलों के दामों में उछाल आया है. अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर 7.7 प्रतिशत का औसत शुल्क लगता है, जबकि भारत से अमेरिका को जाने वाली वस्तुओं पर केवल 2.8 प्रतिशत शुल्क लगता है. इस असमानता के कारण, घरेलू बाजार में तेलों की कीमतें बढ़ी हैं.
सरसों तेल के दामों में बढ़ोतरी
सवाई माधोपुर समेत कई जिलों में सरसों की उत्पादन बढ़ोतरी के बावजूद, बाजार में सरसों तेल के दामों में कमी आने की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं. ग्राहकों का मानना है कि उत्पादन बढ़ने के बावजूद दामों में कमी क्यों नहीं आ रही, यह एक बड़ा सवाल बन कर रह गया है.
ग्राहकों की बढ़ती परेशानी
ग्राहकों का कहना है कि सरसों तेल के बढ़ते दामों ने उनके दैनिक जीवन को कठिनाई में डाल दिया है. गृहणी सावित्री शर्मा के अनुसार, “पहले हम सब्जियों में आराम से तड़का लगाते थे, लेकिन अब तेलों के बढ़ते दामों के कारण, यह एक बड़ी समस्या बन गई है.”
महंगाई के असर से उपभोक्ता परेशान
उपभोक्ता अब तेल के दाम कम होने की उम्मीद में हैं. इस महंगाई का असर सीधे तौर पर उनके रोजमर्रा के खर्च पर पड़ रहा है. इसके चलते, बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए नीति निर्माताओं से कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है.