New Education Policy: केंद्र सरकार ने दिसंबर 2024 में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE Act) में बड़ा संशोधन करते हुए फैसला किया है कि अब 5वीं और 8वीं कक्षा के विद्यार्थियों को नियमित परीक्षा में असफल होने पर अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा. यह निर्णय शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और छात्रों को पढ़ाई के प्रति गंभीर बनाने के उद्देश्य से लिया गया है.
असफल विद्यार्थियों को मिलेगा दूसरा मौका
नए नियमों के तहत यदि कोई विद्यार्थी पहली बार परीक्षा में असफल होता है, तो उसे दो महीने बाद पुन: परीक्षा देने का अवसर मिलेगा. अगर वह दूसरी परीक्षा में भी असफल होता है, तो उसे उसी कक्षा में रोक लिया जाएगा.
शिक्षक और अभिभावकों की भूमिका महत्वपूर्ण
विद्यार्थियों को उसी कक्षा में रोकने के बाद उनके समग्र विकास के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा.
- शिक्षक का मार्गदर्शन: शिक्षक विद्यार्थियों की कमजोरियों की पहचान कर उन्हें सुधारने के लिए विशेष प्रयास करेंगे.
- अभिभावकों की भागीदारी: अभिभावकों को भी इस प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा. ताकि वे बच्चों की पढ़ाई पर अधिक ध्यान दें.
- विशेषज्ञों की मदद: विशेषज्ञ इनपुट के माध्यम से विद्यार्थियों की शैक्षिक जरूरतों को पूरा किया जाएगा.
क्यों जरूरी था यह संशोधन?
पहले नियमों के अनुसार, 8वीं कक्षा तक किसी भी विद्यार्थी को असफल होने पर भी अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था. इसका असर यह हुआ कि जब वही विद्यार्थी 9वीं कक्षा में पहुंचते थे, तो शैक्षणिक रूप से कमजोर होने के कारण वे असफल हो जाते थे.
- ड्रॉपआउट दर में वृद्धि: कमजोर प्रदर्शन के कारण 9वीं कक्षा में ड्रॉपआउट दर बढ़ने लगी.
- शिक्षा के प्रति गंभीरता की कमी: विद्यार्थियों और अभिभावकों में पढ़ाई को लेकर गंभीरता नहीं थी.
- गुणवत्ता में गिरावट: स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा.
शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में मददगार
इस नए संशोधन से विद्यार्थियों को शिक्षा के प्रति अधिक गंभीर बनने में मदद मिलेगी.
- शैक्षणिक स्तर में सुधार: नियमित और सक्षमता आधारित परीक्षाओं से छात्रों के ज्ञान और कौशल में वृद्धि होगी.
- बोर्ड के परिणाम होंगे बेहतर: जब छात्र हर कक्षा में शैक्षिक रूप से मजबूत होंगे, तो 10वीं और 12वीं के बोर्ड परिणामों में सुधार होगा.
- शिक्षा में अनुशासन: यह बदलाव विद्यार्थियों में अनुशासन और शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करेगा.
सक्षमता आधारित परीक्षा का महत्व
सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि परीक्षा केवल याद करने या रटने की प्रक्रिया पर आधारित न हो.
- समग्र विकास पर जोर: परीक्षा का उद्देश्य छात्रों के समग्र विकास को प्रोत्साहित करना है.
- कौशल आधारित मूल्यांकन: विद्यार्थियों को उनके समझने और समस्याओं को हल करने की क्षमता के आधार पर परखा जाएगा.
ड्रॉपआउट दर को रोकने में मदद
नए नियमों से 9वीं कक्षा में ड्रॉपआउट दर को कम करने में मदद मिलेगी.
- जमीनी स्तर पर सुधार: 5वीं और 8वीं में विद्यार्थियों को मजबूत शैक्षणिक आधार मिलेगा.
- अगली कक्षाओं के लिए तैयार: छात्र 9वीं और उससे आगे की पढ़ाई के लिए बेहतर तरीके से तैयार होंगे.
राज्य और केंद्र सरकार की साझा पहल
इस संशोधन को केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर लागू किया है. राज्य स्तर पर शिक्षा विभाग ने भी इस दिशा में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं.
अभिभावकों की जिम्मेदारी
नए नियमों के तहत अभिभावकों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है.
- शिक्षकों के साथ संवाद: बच्चों की कमजोरियों को सुधारने के लिए शिक्षकों के साथ संवाद बनाए रखना होगा.
- बच्चों की पढ़ाई पर नजर: अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई और उनके प्रदर्शन पर ध्यान देना होगा.