सिबिल स्कोर को लेकर जारी हुए नए नियम, जाने लोन लेने वालों पर क्या पड़ेगा असर CIBIL SCORE

Shivam Sharma
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CIBIL SCORE: आज के वित्तीय युग में सिबिल स्कोर का महत्व बहुत बढ़ गया है. यह स्कोर न केवल बैंक लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवश्यक है, बल्कि अब यह व्यक्तिगत संबंधों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. महाराष्ट्र की एक घटना में, जहां एक दुल्हन ने दूल्हे के कम सिबिल स्कोर को देखते हुए शादी से इंकार कर दिया यह प्रदर्शित करता है कि इसकी प्रासंगिकता किस हद तक बढ़ चुकी है. इसी संदर्भ में भारतीय रिजर्व बैंक ने नई नीतियों के तहत कुछ बदलाव किए हैं.

सिबिल स्कोर की मूल बातें

सिबिल स्कोर एक न्यूमेरिकल वैल्यू है जो किसी व्यक्ति की वित्तीय विश्वसनीयता (financial reliability) को दर्शाता है. इसे क्रेडिट इन्फोर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (CIBIL) द्वारा तैयार किया जाता है. स्कोर 300 से 900 के बीच होता है, जहां उच्च स्कोर बेहतर क्रेडिट इतिहास को दर्शाता है. बैंक और वित्तीय संस्थान इस स्कोर के आधार पर लोन और क्रेडिट कार्ड के निर्णय लेते हैं.

RBI द्वारा किए गए प्रमुख बदलाव

  1. अद्यतन सिबिल स्कोर (Updated CIBIL Score): RBI का पहला बदलाव यह है कि अब सिबिल स्कोर हर 15 दिन में अपडेट होगा, जो पहले मासिक आधार पर होता था. यह बदलाव वित्तीय धोखाधड़ी (financial fraud) को रोकने और बैंकों को अधिक सटीक और ताजा डेटा प्रदान करने में मदद करेगा.
  2. हार्ड इन्क्वायरी नोटिफिकेशन (Hard Inquiry Notification): दूसरा बदलाव यह है कि जब भी आपके सिबिल स्कोर की हार्ड इन्क्वायरी की जाती है, आपको इसकी सूचना मिलेगी. यह उपभोक्ताओं को उनके क्रेडिट स्कोर पर नजर रखने में मदद करेगा और अनचाही इन्क्वायरी को रोकने में सहायता प्रदान करेगा.

वित्तीय जीवन पर असर

इन नए नियमों के लागू होने से व्यक्तिगत वित्तीय जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. अब उपभोक्ता अपने क्रेडिट स्कोर के परिवर्तनों को तेजी से ट्रैक कर सकेंगे और अपने वित्तीय निर्णयों को और अधिक सूचनाप्रद ढंग से ले सकेंगे. इसके अलावा, अधिक पारदर्शिता और सुरक्षा के साथ, उपभोक्ता अपने वित्तीय संसाधनों का बेहतर प्रबंधन कर पाएंगे.

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