Fake BPL Family: परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) की वेरिफिकेशन के दौरान सरकार को हैरान कर देने वाले मामले सामने आ रहे हैं. कई लोग जिनके पास दो-तीन मंजिला मकान हैं. महंगे पालतू जानवर हैं और बड़ी जमीन-जायदाद है. वे भी खुद को बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) दिखा रहे हैं. यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि यह असली जरूरतमंदों को उनका हक नहीं मिलने दे रही है.
सरकार ने सख्ती से शुरू की वेरिफिकेशन प्रक्रिया
सरकार ने अब सख्ती दिखाते हुए पीपीपी की वेरिफिकेशन प्रक्रिया शुरू की है. जांच में पाया गया है कि लोग अपनी आय को जानबूझकर 1.80 लाख रुपये से कम दिखा रहे हैं ताकि वे बीपीएल और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें. एडीसी कार्यालय को इन मामलों की रिपोर्ट सौंप दी गई है और अब जिला फूड सप्लाई कंट्रोलर (डीएफएससी) और जिला समाज कल्याण (डीएसडब्ल्यू) को इनकी विस्तृत जांच का जिम्मा सौंपा गया है.
आलीशान जीवन जीने वाले भी उठा रहे बीपीएल का लाभ
जांच में ऐसे कई मामले भी सामने आए हैं जिनमें आर्थिक रूप से संपन्न लोग बीपीएल सूची में शामिल पाए गए. उदाहरण के तौर पर छह मामलों में पाया गया कि ये लोग आलीशान जीवन जी रहे हैं. लेकिन फिर भी सरकारी योजनाओं का फायदा उठा रहे हैं. इन मामलों की गहराई से जांच करने के लिए दोनों विभागों को जिम्मेदारी दी गई है.
रैंडम जांच से सामने आ रही वास्तविकता
सरकार ने एरिया वाइज रैंडमली पांच से सात पीपीपी की सूची तैयार कर हर रोज उनकी जांच शुरू की है. इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बीपीएल सूची में केवल वही लोग शामिल रहें, जो इसके लिए पात्र हैं. जिला प्रशासन इस प्रक्रिया में सख्ती बरत रहा है ताकि गड़बड़ियों को खत्म किया जा सके.
जानकारी छिपाने का डर
जब वेरिफिकेशन टीम बीपीएल धारकों के घर जाती है, तो लोग सही जानकारी देने से कतराते हैं. उन्हें डर रहता है कि उनकी बीपीएल सूची से नाम कट सकता है. कई बार दस्तावेज जांच के लिए भी उपलब्ध नहीं करवाए जाते. जिससे वेरिफिकेशन प्रक्रिया में देरी हो रही है. वर्तमान में जिले में 3,54,736 बीपीएल कार्ड धारक हैं और इन सभी की वेरिफिकेशन करना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है.
राशन डिपो संचालकों की भूमिका हो सकती है महत्वपूर्ण
हर गांव और शहर में राशन डिपो हैं, जहां से लोग सरकारी राशन लेते हैं. डिपो संचालकों को अपने उपभोक्ताओं की आर्थिक स्थिति के बारे में बेहतर जानकारी होती है. यदि ये संचालक सही जानकारी प्रशासन को दें, तो वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है. हालांकि इस दिशा में अभी तक कोई खास प्रगति नहीं हुई है.
असली जरूरतमंद रह जाते हैं वंचित
गलत आय दर्ज करने वाले लोगों के कारण असली जरूरतमंदों को बीपीएल का लाभ नहीं मिल पा रहा है. कई बार सही जानकारी के अभाव में जरूरतमंद लोग बीपीएल सूची से बाहर हो जाते हैं. यह स्थिति सरकार की योजनाओं के प्रभाव को कमजोर करती है और असमानता को बढ़ावा देती है.
वेरिफिकेशन प्रक्रिया में तेजी की जरूरत
प्रशासन को वेरिफिकेशन प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाना होगा. रैंडम जांच के साथ-साथ हर घर की जांच करने की योजना पर काम होना चाहिए. इसके अलावा स्थानीय स्तर पर जानकारी जुटाने के लिए जनप्रतिनिधियों और समाजसेवकों की मदद ली जा सकती है.
गलत जानकारी देने वालों पर हो सख्त कार्रवाई
सरकार को उन लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए जो गलत जानकारी देकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं. इन मामलों में आर्थिक दंड और लाभ वापस लेने जैसी कार्रवाई हो सकती है. यह कदम न केवल गड़बड़ियों को रोकेगा. बल्कि असली जरूरतमंदों को उनका हक दिलाने में मदद करेगा.