पंचायती जमीन पर रहने वाले लोगों की हुई मौज, सरकार ने दिए खास आदेश Shamlat Land

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Shamlat Land: हरियाणा सरकार ने ग्रामीणों और किसानों के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए शामलात जमीन पर 20 साल से रह रहे लोगों को मालिकाना हक देने का रास्ता साफ कर दिया है. यह फैसला उन ग्रामीणों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है. जिन्होंने 31 मार्च 2004 से पहले पंचायत की जमीन पर मकान बनाकर रहना शुरू किया था. सरकार ने अधिकतम 500 वर्ग गज तक के मकानों की रजिस्ट्री उनके नाम पर करने की मंजूरी दी है.

किसानों को भी मिलेगा मालिकाना हक

जो किसान 20 साल से शामलात जमीन पर खेती कर रहे हैं, वे भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. इसके लिए किसानों को वर्तमान कलेक्टर रेट का 50 प्रतिशत या 31 मार्च 2004 के कलेक्टर रेट का डेढ़ गुणा राशि का भुगतान करना होगा. यह फैसला उन किसानों को मालिकाना हक दिलाने का अवसर प्रदान करेगा, जो लंबे समय से शामलात जमीन पर खेती कर रहे हैं.

किन्हें नहीं मिलेगा मालिकाना हक?

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिनका मकान तालाब, फिरनी (गांव की परिधि) या कृषि भूमि में बना हुआ है. उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा. यह निर्णय ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी और पंचायत संपत्ति के सही उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है.

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फैसले का ऐतिहासिक संदर्भ

इस योजना का प्रारंभिक फैसला 5 मार्च को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया था. हालांकि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका. इसके बाद 12 जुलाई को मुख्यमंत्री नायब सैनी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसे मंजूरी दी गई. नवंबर 2024 में विधानसभा सत्र के दौरान हरियाणा ग्राम साझी भूमि अधिनियम 1961 में संशोधन कर इसे लागू किया गया.

ग्रामीणों और किसानों के लिए बड़ा अवसर

यह फैसला हरियाणा के उन लाखों ग्रामीणों और किसानों के लिए एक बड़ा अवसर है, जो दशकों से शामलात जमीन पर मकान बनाकर रह रहे हैं या खेती कर रहे हैं. अब वे अपनी संपत्ति को कानूनी रूप से अपने नाम पर रजिस्ट्री करवा सकते हैं.

क्या है शामलात जमीन?

शामलात जमीन वह भूमि होती है, जो गांव की सामूहिक संपत्ति के रूप में होती है. इस जमीन का उपयोग आमतौर पर गांव के सार्वजनिक कार्यों जैसे- स्कूल, तालाब, फिरनी या खेल मैदान के लिए किया जाता है. हालांकि वर्षों से कई ग्रामीणों और किसानों ने इस जमीन का व्यक्तिगत उपयोग शुरू कर दिया था.

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योजना का उद्देश्य

इस फैसले का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि विवादों को खत्म करना और लोगों को उनकी जमीन का कानूनी अधिकार देना है. यह योजना उन किसानों और ग्रामीणों को राहत प्रदान करेगी, जो वर्षों से इस जमीन पर रहते या खेती करते आ रहे हैं. लेकिन उनके पास कानूनी दस्तावेज नहीं थे.

कैसे करवा सकते हैं रजिस्ट्री?

सरकार ने रजिस्ट्री प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के निर्देश दिए हैं.

  • आवश्यक दस्तावेज: आवेदन करने के लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि आवेदक 31 मार्च 2004 से पहले से जमीन पर रह रहा है या खेती कर रहा है.
  • भुगतान प्रक्रिया: निर्धारित शुल्क का भुगतान करने के बाद रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.
  • जांच प्रक्रिया: अधिकारियों द्वारा जमीन के सत्यापन के बाद ही रजिस्ट्री की मंजूरी दी जाएगी.

योजना के लाभ

  1. कानूनी सुरक्षा: इस फैसले से ग्रामीणों और किसानों को उनकी संपत्ति पर कानूनी अधिकार मिलेगा.
  2. विवादों का समाधान: भूमि से जुड़े विवादों में कमी आएगी.
  3. विकास का रास्ता: ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के वैध होने से विकास कार्यों को बढ़ावा मिलेगा.
  4. राजस्व में बढ़ोतरी: इस योजना के तहत रजिस्ट्री से सरकार को राजस्व भी प्राप्त होगा.

सरकार की पहल का ग्रामीणों पर असर

यह फैसला ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने का एक महत्वपूर्ण कदम है. जो लोग अब तक अपनी संपत्ति पर अधिकार नहीं जता पाते थे. उन्हें इस योजना के तहत मालिकाना हक मिलेगा. इससे ग्रामीणों में सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का भाव जागेगा.

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पंचायतों और प्रशासन की भूमिका

इस योजना को सफल बनाने के लिए पंचायतों और प्रशासन की अहम भूमिका होगी. पंचायतों को ग्रामीणों को जागरूक करना होगा कि वे इस योजना का लाभ उठाएं. वहीं प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि रजिस्ट्री प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो.

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