Bank Fine: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने देशभर के बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए कुछ नए नियम और दिशानिर्देशों को लागू किया है. इन नियमों का पालन सभी संस्थाओं के लिए अनिवार्य है और इनका उल्लंघन करने पर कठोर कार्रवाई की जा सकती है. इससे बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित होती है, साथ ही ग्राहकों का विश्वास मजबूत होता है.
उल्लंघन पर कार्रवाई और जुर्माना
हाल ही में, आरबीआई ने कर्नाटक और गुजरात में स्थित तीन बैंकों पर मौद्रिक जुर्माना (monetary fines) लगाया है. ये बैंक नियमों का पालन नहीं कर रहे थे, जिसके चलते उन पर यह कदम उठाया गया है. इस तरह की कार्रवाई से अन्य बैंकों को भी सख्ती से नियमों का पालन करने का संदेश मिलता है और यह बैंकिंग सेक्टर की समग्र विश्वसनीयता को बढ़ावा देता है.
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक को मिली राहत
आरबीआई ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड को एक विशेष राहत प्रदान की है. प्रशासक की सलाह पर, बैंक की तरलता (liquidity review) की समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया कि 27 फरवरी 2025 से प्रत्येक जमाकर्ता 25,000 रुपये तक की निकासी कर सकते हैं. इससे बैंक के ग्राहकों को बड़ी राहत मिली है और यह बैंक की वित्तीय स्थिरता में सुधार लाने में मदद करेगा.
बैंकों पर लगे जुर्माने की जानकारी
कर्नाटक में स्थित गुलबर्गा और यादगीर जिला सहकारी बैंक और आंध्र प्रदेश के गुन्टूर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक लिमिटेड पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. गुजरात के वडोदरा में स्थित महिला सहकारी बैंक लिमिटेड पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है. ये जुर्माने नियमों के उल्लंघन (regulation non-compliance) के कारण लगाए गए हैं.
जुर्माना लगाने के पीछे की वजहें
गुलबर्गा और यादगीर जिला सहकारी बैंक ने नाबार्ड को वैधानिक रिटर्न जमा करने में विफल रहे, जबकि गुन्टूर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक लिमिटेड अपने खातों और बैलेंस शीट को समय पर प्रकाशित करने में असफल रहा. महिला सहकारी बैंक लिमिटेड ने ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड्स को सेंट्रल केवाईसी रिकॉर्ड्स रजिस्ट्री पर समय पर अपलोड नहीं किया. इस तरह की विफलताएं बैंकों के प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता को दर्शाती हैं और यही कारण है कि जुर्माने लगाए गए हैं.