Haryana News: हरियाणा सरकार ने प्रदेश के सभी राजकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में लगी भर्तियों पर पाबंदी को हटा दिया है. यह निर्णय उन महाविद्यालयों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में सामने आया है जो कम स्टाफ की समस्या से जूझ रहे थे. इस कदम से नई शिक्षा नीति-2020 को लागू करने में भी आसानी होगी, जिसे पहले स्टाफ की कमी के चलते रोक दिया गया था.
राजकीय महाविद्यालयों की मौजूदा स्थिति
हरियाणा में कुल 97 राजकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालय हैं. इन महाविद्यालयों में आखिरी बार साल 2019 में भर्तियां की गई थीं. तब से अब तक कोई भी नई भर्ती नहीं हो पाई थी, जिससे स्थानीय स्टाफ की कमी बढ़ती जा रही थी और शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा था.
भर्ती न होने के परिणाम
कई महाविद्यालयों में तो बीते 12 वर्षों से कोई भर्ती नहीं हुई है. जैसे कि गौड़ ब्राह्मण डिग्री कॉलेज में पिछले 12 वर्षों से कोई नई भर्ती नहीं की गई है और जाट कॉलेज, रोहतक में आखिरी बार 2014 में भर्तियां हुई थीं. इस तरह की स्थिति में कई महत्वपूर्ण पद रिक्त पड़े हैं, जिनमें से 48% पद खाली हैं, जिसमें टीचिंग और नॉन-टीचिंग दोनों शामिल हैं.
शिक्षक संघ की मांग और सरकार का निर्णय
हरियाणा एडेड कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन और मैनेजिंग कमेटी ने तीन साल से इन रिक्तियों को भरने की मांग कर रहे थे. इस मांग को उच्चतर शिक्षा विभाग के महानिदेशक और हरियाणा सरकार ने मान लिया है. इस निर्णय के बाद, अब इन कॉलेजों में नई भर्तियां शुरू हो सकेंगी, जिससे नई शिक्षा नीति को सफलतापूर्वक लागू करने में मदद मिलेगी.
शिक्षण संस्थानों में सुधार की उम्मीद
इस निर्णय के बाद न केवल शिक्षकों को बल्कि विद्यार्थियों को भी बेहतर शिक्षण सुविधाएं मिलने की उम्मीद है. नई भर्तियों के जरिए उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और छात्रों को अधिक योग्य और योग्यता सम्पन्न शिक्षकों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा.