Scheduled Caste Removal: हरियाणा सरकार ने हाल ही में एक निर्णय लेने का प्रयास किया, जिसमें ‘चूरा’, ‘भंगी’ और ‘मोची’ जैसी जातियों के नामों को अनुसूचित जाति की सूची से हटाने और उन्हें’ बाल्मीकि’ और ‘चमार’ के नाम से पहचाने जाने का प्रस्ताव था. इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य था इन जातियों के सदस्यों को अपमानजनक नामों से मुक्ति दिलाना. हालांकि, केंद्र सरकार ने इस निर्णय पर असहमति जताई है और हरियाणा सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है.
केंद्र और हरियाणा सरकार के बीच पत्राचार
हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार को एक पत्र भेजा था जिसमें 2013 के एक सरकारी आदेश का हवाला दिया गया, जिसमें उल्लिखित था कि ‘चूरा’, ‘भंगी’ और ‘मोची’ को अनुसूचित जाति सूची से हटाकर उन्हें ‘बाल्मीकि’ और ‘चमार’ के नाम से प्रमाणित किया जाएगा. इस पत्र में सरकार की इस बदलाव की विधानिकता पर जोर दिया गया था. लेकिन, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस आदेश को गलत बताते हुए हरियाणा सरकार को आगाह किया कि इस तरह के बदलाव के लिए संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत सिर्फ संसद को ही अधिकार है.
केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया और निर्देश
केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि अनुसूचित जाति के सदस्यों को उनके मूल नाम से ही आरक्षण और अन्य लाभ मिलने चाहिए, और उन्हें दूसरी जाति के नाम से ये लाभ नहीं दिए जा सकते. इस बात का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह सामाजिक न्याय की प्रक्रिया में एक स्पष्टता प्रदान करता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि विधान के अनुसार ही सामाजिक बदलाव किए जाएं.