पांचवीं और आठवीं में फेल विद्यार्थी नहीं होंगे प्रमोट, लागू होंगे ये बड़े बदलाव Schools Students

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Schools Students: हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के संशोधित निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 को सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है. इसके तहत अब पांचवीं और आठवीं कक्षा के फेल विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा. यह नई व्यवस्था मार्च 2025 से ग्रीष्मकालीन स्कूलों में लागू होगी. जबकि शीतकालीन स्कूलों में इसे अगले वर्ष से लागू किया जाएगा.

फेल छात्रों को मिलेगा दूसरा मौका

नई नीति के तहत यदि कोई छात्र पहली बार परीक्षा पास करने में असफल रहता है, तो उसे आवश्यक अंक प्राप्त करने के लिए एक और मौका दिया जाएगा. यदि दूसरी बार भी छात्र असफल होता है, तो उसे कक्षा में फेल कर दिया जाएगा. यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और छात्रों को मेहनत के प्रति प्रेरित करने के उद्देश्य से लिया गया है.

केंद्र सरकार के संशोधन के बाद हिमाचल का फैसला

बीते दिसंबर में केंद्र सरकार ने निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम में संशोधन किया था. इसके बाद हिमाचल प्रदेश ने नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म करने का फैसला लिया. यह नीति लागू होने के बाद से ही हिमाचल में इसका विरोध हो रहा था. वर्ष 2019 में हिमाचल सरकार ने पांचवीं और आठवीं कक्षा में बिना परीक्षा पास किए छात्रों को प्रमोट न करने का फैसला लिया था. लेकिन इसे सख्ती से लागू नहीं किया गया. अब वर्तमान कांग्रेस सरकार ने इस नीति को पूरी तरह समाप्त करने का निर्णय लिया है.

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शिक्षा गुणवत्ता में सुधार की जरूरत

पिछले कुछ वर्षों में नो डिटेंशन पॉलिसी के कारण छात्रों में पढ़ाई को लेकर गंभीरता कम हो गई थी. शिक्षक और शिक्षा विशेषज्ञ लगातार इस बात पर जोर देते रहे हैं कि बच्चों को बिना परीक्षा पास किए अगली कक्षा में प्रमोट करने से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है. हिमाचल प्रदेश सरकार का यह कदम छात्रों को मेहनत करने और शिक्षा के प्रति गंभीर होने के लिए प्रोत्साहित करेगा.

उत्तर पुस्तिकाओं की जांच व्यवस्था में बदलाव

नई व्यवस्था के तहत, पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच अब ब्लॉक और क्लस्टर स्तर पर की जाएगी.

  • पांचवीं कक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं ब्लॉक स्तर पर जांची जाएंगी.
  • आठवीं कक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं क्लस्टर स्तर पर जांची जाएंगी.

अभी तक ये उत्तर पुस्तिकाएं आसपास के स्कूलों में ही जांची जाती थीं. लेकिन नई व्यवस्था से पारदर्शिता बढ़ेगी और परीक्षा परिणाम की गुणवत्ता बेहतर होगी.

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शिक्षा नीति में यह बदलाव क्यों जरूरी था?

शिक्षा गुणवत्ता में गिरावट के कारण हिमाचल प्रदेश लंबे समय से नो डिटेंशन पॉलिसी का विरोध करता आ रहा था. इस नीति के तहत, छात्रों को कक्षा 8 तक फेल नहीं किया जाता था. चाहे वे परीक्षा में पास हों या नहीं.

  • छात्रों में पढ़ाई के प्रति रुचि की कमी: नो डिटेंशन पॉलिसी के कारण कई छात्रों ने पढ़ाई को गंभीरता से लेना बंद कर दिया था.
  • शिक्षकों की शिकायतें: शिक्षकों ने लगातार शिकायत की कि छात्रों की पढ़ाई के स्तर में गिरावट आ रही है.
  • शिक्षा का गिरता स्तर: पॉलिसी के कारण छात्रों की बुनियादी शिक्षा कमजोर हो रही थी, जिससे उच्च शिक्षा में समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं.

छात्रों के प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद

इस नई व्यवस्था से छात्रों को पढ़ाई के प्रति जागरूक और मेहनती बनने का मौका मिलेगा. फेल होने का डर छात्रों को मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा. साथ ही शिक्षकों को भी छात्रों की शिक्षा में सुधार लाने के लिए बेहतर तरीके से काम करने का अवसर मिलेगा.

शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका

शिक्षा नीति में बदलाव के बाद शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका भी अहम हो जाती है.

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  • शिक्षकों को छात्रों को बेहतर शिक्षा देने पर जोर देना होगा.
  • अभिभावकों को अपने बच्चों की पढ़ाई पर अधिक ध्यान देना होगा.
    नई व्यवस्था में छात्रों को अपने प्रदर्शन को सुधारने और शिक्षा के प्रति गंभीर होने का संदेश दिया गया है.

प्रदेश में शिक्षा की दिशा बदलने का प्रयास

हिमाचल प्रदेश सरकार का यह कदम न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद करेगा. बल्कि छात्रों को आत्मनिर्भर और जिम्मेदार नागरिक बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है. शिक्षा नीति में इस बदलाव से यह सुनिश्चित होगा कि छात्र बुनियादी शिक्षा में मजबूत आधार बना सकें.

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