First Hydrogen Train: भारतीय रेलवे ने डीजल लोकोमोटिव से इलेक्ट्रिक और अब हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक की ओर अपनी यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है. हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें, जिन्हें केवल पानी और गर्मी का उत्सर्जन करने की क्षमता के साथ डिज़ाइन किया गया है, अब हरियाणा के जींद-सोनीपत मार्ग पर अपने ट्रायल रन की शुरुआत कर चुकी हैं. यह नवाचार भारत को वैश्विक रेलवे नवीनीकरण के अग्रदूतों में स्थान दिलाने का वादा करता है.
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की हाइड्रोजन ट्रेनें
जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन के पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए, भारत ने ‘हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज’ पहल के तहत 35 हाइड्रोजन-पावर्ड ट्रेनों को परिचालन में लाने की योजना बनाई है. इस पहल के अंतर्गत, चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का निर्माण किया है, जो कि इस क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है.
हाइड्रोजन ट्रेनों की विशेषताएं और फायदे
इन हाइड्रोजन ट्रेनों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये वातावरण में केवल पानी और गर्मी छोड़ती हैं, जिससे ये कार्बन उत्सर्जन और ध्वनि प्रदूषण को काफी कम करती हैं. भारत में इस ट्रेन की क्षमता विश्व मानकों से कहीं अधिक है, जिससे यह दुनिया की सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन बन गई है.
हरियाणा के जींद में हाइड्रोजन उत्पादन
इन हाइड्रोजन ट्रेनों के लिए आवश्यक हाइड्रोजन गैस हरियाणा के जींद में एक मेगावाट क्षमता के पॉलीमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन (PEM) इलेक्ट्रोलाइजर के द्वारा उत्पादित की जा रही है. इस प्लांट से उत्पादित हाइड्रोजन न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि यह ट्रेनों को अत्यधिक कुशल बनाता है.
हाइड्रोजन ट्रेनों का आगे का प्लान
भारतीय रेलवे का यह कदम न केवल तकनीकी को दर्शाता है बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक बड़ा कदम है. 2030 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जक बनने की दिशा में यह प्रयास न केवल भारत को सतत विकास के पथ पर आगे बढ़ाएगा बल्कि विश्व स्तर पर भी एक मिसाल कायम करेगा.