एक साल में मकान मालिक बढ़ा सकता है इतना किराए, इससे ज्यादा होने पर हो सकती है दिक्कत tenant rights

Shiv Shankar
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tenant rights: देशभर में लाखों लोग किराए पर रहते हैं और अक्सर देखा जाता है कि मकान मालिक और किराएदार के बीच किराया बढ़ाने को लेकर विवाद खड़ा हो जाता है। कई बार जानकारी के अभाव में किराएदार मकान मालिक की हर शर्त मान लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मकान मालिक एक लिमिट से ज्यादा किराया नहीं बढ़ा सकता ?

क्यों जरूरी है रेंट एग्रीमेंट बनवाना ?

रेंट एग्रीमेंट यानी किराए का समझौता, मकान मालिक और किराएदार के बीच एक कानूनी दस्तावेज होता है जो दोनों पक्षों के हितों की रक्षा करता है।

रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 17 के अनुसार, किराए के लिए एक लिखित समझौता बनवाना चाहिए।

  • सिर्फ आईडी देकर किराए पर रहना कानूनी दृष्टिकोण से जोखिम भरा होता है।
  • रेंट एग्रीमेंट में किराया, जमा राशि, सुविधाएं, समय अवधि, किराया बढ़ोतरी की शर्तें जैसी बातें स्पष्ट होनी चाहिए।
  • भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में यह दस्तावेज सबूत के रूप में काम आता है।

किराएदार को मिलनी चाहिए ये मूलभूत सुविधाएं

मकान मालिक, किरायेदार को कुछ जरूरी सुविधाएं देने से मना नहीं कर सकता।

आवश्यक सुविधाएं जिनसे इनकार नहीं किया जा सकता:

  • बिजली और पानी की आपूर्ति
  • शौचालय और स्वच्छता से जुड़ी व्यवस्था
  • मकान की सुरक्षा और साफ-सफाई

हालांकि, रेंट एग्रीमेंट में अगर इन सुविधाओं के लिए अलग से चार्ज तय किया गया हो तो मकान मालिक उसे वसूल सकता है, लेकिन इनसे इनकार करना गलत है।

मकान मालिक साल में कितना बढ़ा सकता है किराया ?

हर साल मकान मालिक किराया बढ़ाने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह बढ़ोतरी स्थानीय कानूनों और रेंट कंट्रोल एक्ट पर निर्भर करती है।

उदाहरण के लिए – महाराष्ट्र रेंट कंट्रोल एक्ट 1999 के अनुसार:

  • मकान मालिक हर साल अधिकतम 4% तक किराया बढ़ा सकता है।
  • अगर मकान में नई सुविधाएं जोड़ी गई हैं, तो किराया 25% तक बढ़ाया जा सकता है।

यह नियम सभी राज्यों में अलग-अलग हो सकता है, इसलिए किराएदार को अपने राज्य के रेंट कानूनों की जानकारी होनी चाहिए।

11 महीने का रेंट एग्रीमेंट क्यों होता है फायदेमंद ?

कई लोग 11 महीने के रेंट एग्रीमेंट को पसंद करते हैं क्योंकि यह कानूनी रूप से मान्य होता है और प्रक्रिया भी सरल होती है।

11 महीने के रेंट एग्रीमेंट के फायदे:

  • रेंट एग्रीमेंट रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर करवाना जरूरी नहीं होता
  • स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस कम लगती है
  • किराएदार को संपत्ति पर अधिकार का दावा नहीं मिलता
  • मकान मालिक एग्रीमेंट खत्म होते ही किराया बढ़ा सकता है
  • विवाद की स्थिति में एग्रीमेंट सुबूत के रूप में काम करता है

लंबे समय का रेंट एग्रीमेंट कैसे बनवाएं ?

अगर मकान मालिक और किराएदार दोनों ही लंबे समय तक किराएदारी बनाए रखना चाहते हैं तो वे 5 साल या उससे अधिक समय का रेंट एग्रीमेंट भी बनवा सकते हैं।

कैसे बनवाएं:

  • सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में एग्रीमेंट रजिस्टर कराना जरूरी
  • नोटरी के माध्यम से भी इसे मान्यता दी जा सकती है
  • ऐसे एग्रीमेंट में किराए और सुविधाओं की स्पष्ट शर्तें होती हैं

इस प्रकार के रेंट एग्रीमेंट में किराएदार को प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक नहीं मिलता, लेकिन अगर मकान मालिक उसे निकालना चाहता है तो उसे एक महीने पहले नोटिस देना होता है।

क्या मकान मालिक जब चाहे किराएदार को निकाल सकता है ?

रेंट एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार, मकान मालिक बिना कारण भी किराएदार से घर खाली करवा सकता है, लेकिन इसके लिए उसे एक महीने पहले लिखित नोटिस देना अनिवार्य है।

किराएदार चाहें तो इस दौरान वैकल्पिक व्यवस्था कर सकते हैं, लेकिन कानूनन आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार नहीं रहता अगर एग्रीमेंट की शर्तों में यह पहले से लिखा हो।

किराएदारों के कानूनी अधिकार जानना क्यों जरूरी है ?

ज्यादातर किराएदार कानून की जानकारी न होने के कारण मकान मालिक की हर बात मान लेते हैं, चाहे वह उचित हो या अनुचित।

जानिए अपने अधिकार:

  • बिना रेंट एग्रीमेंट के किराया देना जोखिम भरा है
  • एक सीमित प्रतिशत से ज्यादा किराया बढ़ाना अवैध हो सकता है
  • मकान मालिक आपको पानी, बिजली जैसी सुविधाओं से वंचित नहीं कर सकता
  • समय से पहले निकाले जाने की स्थिति में एक महीने का नोटिस देना जरूरी है

कानून की जानकारी से बच सकते हैं विवाद से

किरायेदारी एक संवेदनशील रिश्ता है जो आपसी समझ और कानूनी दायरे में रहकर बेहतर तरीके से निभाया जा सकता है। मकान मालिक और किराएदार दोनों को अपने अधिकार और जिम्मेदारियों की जानकारी होनी चाहिए।

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