बिकने की कगार पर खड़ा ये सरकार बैंक, सरकार ने दी ये बड़ी जानकारी Banking Rules

Shiv Shankar
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Banking Rules: सरकार लंबे समय से सार्वजनिक क्षेत्र के आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की तैयारी कर रही है। अब इस दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव अरुणीश चावला ने जानकारी दी है कि सरकार ने आईडीबीआई बैंक के मूल्यांकन (Valuation) के लिए एक एसेट अप्रेजर (Asset Appraiser) को नियुक्त किया है। साथ ही, संभावित खरीदारों के साथ शेयर खरीद समझौते (Share Purchase Agreement) पर भी चर्चा जारी है।

क्या है आईडीबीआई बैंक का निजीकरण प्रोजेक्ट ?

भारत सरकार और एलआईसी दोनों मिलकर आईडीबीआई बैंक की कुल 60.72 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की योजना बना चुके हैं। इसमें भारत सरकार की 30.48% और एलआईसी की 30.24% हिस्सेदारी शामिल है। यह प्रक्रिया अक्टूबर 2022 में शुरू हुई थी, जब सरकार ने निवेशकों से EOI (Expression of Interest) मांगे थे।

बिक्री प्रक्रिया में क्या-क्या हो चुका है पूरा ?

दीपम सचिव चावला के मुताबिक अब तक निम्नलिखित कार्य पूरे किए जा चुके हैं

  • वर्चुअल डेटा रूम स्थापित किया गया है, जिसमें संभावित खरीदारों को जानकारी दी जा रही है।
  • प्रश्नोत्तर प्रक्रिया चल रही है, जिसमें निवेशकों के संदेह दूर किए जा रहे हैं।
  • परिसंपत्ति मूल्यांकक (एसेट अप्रेजर) की नियुक्ति हो चुकी है।
  • शेयरधारक समझौते की रूपरेखा पर विचार चल रहा है।

कब पूरी हो सकती है बिक्री प्रक्रिया ?

एक अधिकारी ने बताया कि अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो अगले 6-7 महीनों में आईडीबीआई बैंक की बिक्री प्रक्रिया पूरी हो सकती है। इसके लिए अब अगला चरण है

  1. एसेट अप्रेजर और लेनदेन सलाहकार की वैल्यूएशन रिपोर्ट का पूरा होना।
  2. सरकार द्वारा रिजर्व प्राइस (Reserve Price) तय करना।
  3. इच्छुक खरीदारों से वित्तीय बोलियों (Financial Bids) को आमंत्रित करना।
  4. सबसे बेहतर बोली लगाने वाले की घोषणा करना।

सुरक्षा और नियामकीय मंजूरी पहले ही मिल चुकी है

आईडीबीआई बैंक के संभावित खरीदार को पहले ही भारत सरकार के गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा सुरक्षा मंजूरी (Security Clearance) मिल चुकी है। साथ ही, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भी ‘उचित और उपयुक्त’ मानकों के आधार पर फिट एंड प्रॉपर अप्रूवल दे दिया है।

निजीकरण का उद्देश्य और लाभ

सरकार के इस कदम का मुख्य उद्देश्य है

  • बैंकों में प्रोफेशनल मैनेजमेंट को बढ़ावा देना।
  • बैंकों की ऑपरेशनल एफिशिएंसी में सुधार लाना।
  • सरकारी हिस्सेदारी घटाकर राजकोषीय घाटे को कम करना।

इसके अलावा, इस प्रक्रिया से सरकार को भारी राजस्व प्राप्ति होगी, जिसे अन्य जनकल्याण योजनाओं में लगाया जा सकता है।

आईडीबीआई बैंक क्यों है खास ?

आईडीबीआई बैंक देश का एक प्रतिष्ठित बैंक है जिसकी मौजूदगी अखिल भारतीय स्तर पर है। यह बैंक

  • रिटेल बैंकिंग
  • कॉरपोरेट बैंकिंग
  • इंश्योरेंस
  • इन्वेस्टमेंट सेवाओं में कार्य करता है।

इसके अलावा, यह बैंक सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के ग्राहकों को सेवाएं देता है।

एलआईसी की हिस्सेदारी भी होगी ट्रांसफर

इस प्राइवेटाइजेशन प्रक्रिया में सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि एलआईसी (भारतीय जीवन बीमा निगम) भी अपनी 30.24% हिस्सेदारी बेचेगा। एलआईसी की इस हिस्सेदारी के स्थानांतरण से बीमा क्षेत्र और बैंकिंग क्षेत्र दोनों में नई साझेदारियां और समावेशी सेवाएं संभव हो सकेंगी।

संभावित खरीदारों की दिलचस्पी बनी हुई है

सूत्रों के अनुसार, कई बड़े निजी बैंकों और वित्तीय कंपनियों ने आईडीबीआई बैंक में दिलचस्पी दिखाई है। इसके पीछे मुख्य कारण है बैंक का

  • मजबूत ग्राहक आधार
  • व्यापक ब्रांच नेटवर्क
  • डिजिटल बैंकिंग सेवाओं में बढ़त

इन कारणों से निवेशक इसे एक लाभकारी अवसर मान रहे हैं।

नई दिशा की ओर बढ़ रहा है बैंकिंग सेक्टर

आईडीबीआई बैंक की बिक्री भारत सरकार के निजीकरण और सुधार एजेंडा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे न केवल बैंक के कामकाज में सुधार होगा, बल्कि सरकार की परिसंपत्ति प्रबंधन नीति को भी मजबूती मिलेगी। अगर यह प्रक्रिया सफल रहती है, तो यह अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है।

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