Damadanpurwa village: भारत में ऐसी कई जगहें हैं जो अपनी अनोखी परंपराओं और अनोखी संस्कृति के लिए जानी जाती हैं. ऐसा ही एक गांव है उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में, जिसे दमादनपुरवा कहा जाता है. इस गांव की खासियत यह है कि यहां के अधिकांश घर दामादों के हैं जो अपनी पत्नियों के साथ यहां बस गए हैं. इस अद्भुत परंपरा की शुरुआत साल 1970 में हुई थी जब गांव की राजरानी की शादी हुई और उनके पति सांवरे कठेरिया ने यहां अपना घर बसा लिया.
दामादों का गांव
राजरानी और सांवरे कठेरिया के बाद, गांव की कई और बेटियों की शादियाँ हुईं, और उनके पति भी इस गांव में आकर बस गए. यह परंपरा समय के साथ बढ़ती गई और अब तक गांव में 40 से ज्यादा घर दामादों के हो चुके हैं. यह गांव इस अद्भुत परंपरा का गवाह बना हुआ है, जहां दामाद न केवल अपनी पत्नियों के साथ रहते हैं, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में भी काम करते हैं.
सामाजिक परिवर्तन और दामादों की भूमिका
दमादनपुरवा की यह परंपरा न केवल एक अनूठी जीवनशैली को दर्शाती है, बल्कि यह भारतीय समाज में लैंगिक समानता और स्थायी बसावट के नए आयामों को भी खोलती है. इस गांव में दामादों का आना और यहां का विकास ने दिखाया है कि कैसे परंपरागत सोच को तोड़ते हुए नए सामाजिक रिश्तों की स्थापना की जा सकती है. इससे अन्य गांवों के लिए भी एक मिसाल कायम होती है.
गांव की सामाजिक-आर्थिक प्रगति
दमादनपुरवा ने न केवल सामाजिक परिवर्तनों में अग्रणी भूमिका निभाई है, बल्कि यह गांव आर्थिक रूप से भी खुद को सशक्त बना रहा है. दामादों द्वारा अपनाई गई खेती, छोटे व्यवसाय और अन्य आजीविका के साधनों ने गांव की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है. इससे गांव में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार हुआ है, जिससे युवा पीढ़ी को नई प्रेरणा मिली है.