TOMATO FARMING: हरियाणा में किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़कर अब ऑर्गेनिक और बागवानी खेती में सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं. राज्य सरकार की प्रोत्साहन नीति ने किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने का रास्ता दिखाया है. करनाल जिले का गांव पधाना इसका एक बेहतरीन उदाहरण है. जहां के किसान टमाटर की खेती से न केवल अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं. बल्कि देश-विदेश में पहचान भी बना रहे हैं.
पधाना गांव टमाटर की खेती का केंद्र
करनाल जिले का पधाना गांव टमाटर की खेती के लिए सुर्खियों में है. यहां बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती होती है, जिसे खरीदने के लिए रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियां गांव में ही पहुंचती हैं. इसके अलावा दूसरे राज्यों और यहां तक कि पाकिस्तान तक टमाटर की सप्लाई की जा रही है.
3 हजार एकड़ में फैली खेती
गांव के किसानों ने बताया कि गांव की 3 हजार एकड़ भूमि में से आधे हिस्से पर टमाटर की खेती होती है. यह हरियाणा का एकमात्र ऐसा गांव है. जहां इतने बड़े पैमाने पर टमाटर उगाया जाता है. यहां के किसान पहले बेड पर टमाटर उगाते थे. लेकिन अब बेल वाले टमाटर की खेती भी कर रहे हैं. बेल पर टमाटर उगाने से उत्पादन ज्यादा होता है और प्रति एकड़ 2000 क्रेट तक टमाटर निकलते हैं.
लाखों की आमदनी
किसान बताते हैं कि टमाटर के दाम में उतार-चढ़ाव होता रहता है. वर्तमान में एक क्रेट (25 किलो) टमाटर की कीमत 250-300 रुपये है. इस हिसाब से प्रति एकड़ ढाई से तीन लाख रुपये की कमाई हो रही है. जब टमाटर की कीमत 500-600 रुपये प्रति क्रेट तक पहुंचती है, तो यह आमदनी 5-6 लाख रुपये प्रति एकड़ तक हो जाती है.
बड़ी कंपनियों से अनुबंध और मंडी की सुविधा
गांव के कई किसान रिलायंस जैसी बड़ी कंपनियों के साथ अनुबंधित हैं. ये कंपनियां किसानों के खेतों से ही टमाटर खरीदती हैं. इसके अलावा गांव में ही टमाटर की मंडी है, जहां दिल्ली और अन्य राज्यों से व्यापारी आते हैं. इससे किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती. जिससे उनका समय और पैसा बचता है.
टमाटर की खेती का खर्च
एक एकड़ में टमाटर की नई खेती शुरू करने पर करीब 1 लाख रुपये का खर्च आता है. हालांकि बागवानी विभाग द्वारा बांस और तार लगाने पर अनुदान दिया जाता है. जो किसान पहले से खेती कर रहे हैं, उनके लिए यह खर्च लगभग 50 हजार रुपये तक कम हो जाता है.
रोजगार का बड़ा साधन
पधाना गांव की टमाटर की खेती ने गांव के गरीब परिवारों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं. गांव के मजदूर और महिलाएं टमाटर की खेती में काम करके अपनी आजीविका चला रहे हैं. यहां के किसानों की वजह से पूरे साल मजदूरों को रोजगार मिलता है.
महिलाओं के लिए रोजगार का सुनहरा अवसर
गांव की गरीब महिलाएं भी टमाटर की खेती में मजदूरी करके अपनी आजीविका चला रही हैं. यह रोजगार का एक ऐसा साधन है, जो उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है. पूरे साल टमाटर की खेती में किसी न किसी रूप में काम होता रहता है. जिससे रोजगार के अवसर बने रहते हैं.
टमाटर की उच्च गुणवत्ता बनी पहचान
गांव में उगाए जाने वाले टमाटर की गुणवत्ता इतनी बेहतर है कि बड़ी कंपनियां इसे सीधे खरीदने में रुचि दिखा रही हैं. यहां के टमाटर की गुणवत्ता और स्वाद ने इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी पहचान दिलाई है.
हरियाणा सरकार की प्रोत्साहन नीति का योगदान
हरियाणा सरकार की प्रोत्साहन नीति ने किसानों को बागवानी और ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित किया है. सरकार द्वारा दिए गए अनुदान और योजनाओं ने किसानों को परंपरागत खेती से हटकर बागवानी खेती अपनाने में मदद की है.