School Vegetable Farming: प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड-डे-मील को अधिक पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाने के लिए अब स्कूलों में खुद की सब्जियां उगाई जाएंगी. इसके लिए स्कूल परिसरों में किचन गार्डन तैयार किए जाएंगे. जिन स्कूलों में बागवानी के लिए पर्याप्त जगह नहीं है, वहां गमलों और पॉली बैग में सब्जियां उगाने की व्यवस्था की जाएगी. इससे बच्चों को ताज़ा और पौष्टिक खाना मिलेगा, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर होगा.
मिड-डे-मील में ताज़ी हरी सब्जियों का होगा उपयोग
इन किचन गार्डन्स में उगाई गई सब्जियों का उपयोग स्कूलों में बनने वाले मिड-डे-मील में किया जाएगा. इससे न केवल खाने का स्वाद बढ़ेगा, बल्कि बच्चों को ज़रूरी पोषण भी मिलेगा. हरी सब्जियां जैसे पालक, मेथी, धनिया, टमाटर, गाजर, लौकी, भिंडी आदि स्कूलों में उगाई जाएंगी, जिससे भोजन की गुणवत्ता में सुधार होगा.
हर स्कूल को पालन करना होगा मिड-डे-मील मेन्यू
मौलिक शिक्षा विभाग की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार स्कूलों को मिड-डे-मील योजना के मेन्यू के अनुरूप भोजन तैयार करना अनिवार्य होगा. इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चों को संतुलित आहार मिले और वे कुपोषण से बचें. यदि किसी स्कूल में मेन्यू का पालन नहीं किया जाता है, तो संबंधित विद्यालय प्रमुख और मिड-डे-मील इंचार्ज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
साफ-सफाई पर रहेगा विशेष ध्यान
मिड-डे-मील की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए किचन और खाद्य सामग्री की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाएगा. सभी कुक और हेल्पर्स को साफ-सुथरे कपड़ों में रहना होगा और अनाज को सही तरीके से स्टोर करना होगा. किचन में जाले, मकड़ी, चूहे आदि नहीं होने चाहिए. सूखे दूध और अन्य खाद्य सामग्री के सही रखरखाव के निर्देश भी दिए गए हैं.
भोजन वितरण में पारदर्शिता अनिवार्य
शिक्षा विभाग ने निर्देश दिया है कि मिड-डे-मील की पूरी जानकारी रिकॉर्ड रजिस्टर में दर्ज करना अनिवार्य होगा. जितने विद्यार्थियों को भोजन दिया जा रहा है, उनकी संख्या ऑनलाइन पोर्टल में भी अपडेट करनी होगी. यदि निरीक्षण के दौरान रिकॉर्ड और वास्तविक संख्या में अंतर पाया जाता है, तो स्कूल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
बच्चों को मिलेगा संतुलित आहार और पर्यावरण संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा
स्कूलों में किचन गार्डन लगाने से बच्चों को ताज़ा और प्राकृतिक भोजन मिलेगा, जिससे वे स्वस्थ रहेंगे. इसके साथ ही, यह योजना पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक होगी, क्योंकि स्कूलों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. बच्चों को भी पौधों की देखभाल और बागवानी का ज्ञान मिलेगा, जिससे वे प्रकृति के करीब आ सकेंगे.
स्कूलों में बेहतर पोषण से बच्चों का स्वास्थ्य होगा मजबूत
इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि बच्चे शुद्ध, रसायन-मुक्त और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन कर सकेंगे. इससे उनका इम्यून सिस्टम मजबूत होगा और वे बीमारियों से बच पाएंगे.
नियमों की अनदेखी पर होगी कार्रवाई
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर किसी स्कूल में मिड-डे-मील योजना के नियमों का पालन नहीं किया जाता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इससे यह सुनिश्चित होगा कि योजना का लाभ हर बच्चे तक पहुंचे और वे अच्छी सेहत के साथ बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकें.