New Property Rights: प्रॉपर्टी से जुड़े विवाद अक्सर बेहद जटिल और लंबे समय तक चलने वाले होते हैं. हाल ही में एक ऐसा ही मामला हाईकोर्ट में पहुंचा जिसमें मामा और भांजे के बीच संपत्ति के अधिकार को लेकर विवाद हो गया. इस मामले में भांजे ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामा से अपनी मां के हिस्से की संपत्ति की मांग की थी. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एक ऐतिहासिक और चर्चा में रहने वाला फैसला सुनाया है.
प्रॉपर्टी की बिक्री पर रोक
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संपत्ति की बिक्री पर फिलहाल रोक (stay on property sale) लगा दी है. अदालत ने कहा कि जब तक इस संपत्ति में हिस्से का निर्धारण नहीं हो जाता तब तक दूसरा पक्ष संपत्ति को न तो बेच सकता है और न ही उस पर एकाधिकार कर सकता है.
भांजे ने मां के हिस्से के लिए कोर्ट में लगाई थी याचिका
यह विवाद दो मामा और भांजे (uncle nephew property dispute) के बीच है. भांजे का कहना है कि उसकी मां का नाना की संपत्ति में बराबर का हक बनता है. मामा द्वारा इसका विरोध करने पर भांजे ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि बेटी के निधन के बाद भी उसके बच्चों का अपने नाना की संपत्ति में कानूनी अधिकार है.
बेटे और बेटी के अधिकार समान
कोर्ट ने सुनवाई में कहा कि जिस प्रकार बेटे के निधन के बाद उसके बच्चों और पत्नी का पिता की संपत्ति में अधिकार (property rights in law) बना रहता है, उसी प्रकार बेटी की मृत्यु के बाद भी उसके बच्चों का वैधानिक अधिकार कायम रहता है. हाईकोर्ट ने कानून की व्याख्या करते हुए स्पष्ट कर दिया कि यह हक संपत्ति के बंटवारे तक बना रहेगा.
कोर्ट ने दिया संपत्ति के मूल्यांकन का आदेश
अदालत ने मामले में स्पष्ट निर्देश दिए कि संपत्ति का मूल्यांकन (property valuation order) किया जाए और मामले को यथास्थिति में रखा जाए. कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि भांजे की मां इस संपत्ति की वैध उत्तराधिकारी थीं और इस हिसाब से उनका एक तिहाई हिस्सा बनता है. जब तक मामला पूरी तरह सुलझ नहीं जाता, तब तक दूसरा पक्ष किसी भी स्थिति में संपत्ति की बिक्री नहीं कर सकेगा.
प्रॉपर्टी विवादों में इस फैसले की अहमियत
हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल इस विशेष मामले में बल्कि अन्य प्रॉपर्टी विवादों (property disputes in family) में भी नजीर बन सकता है. यह फैसला बेटी के अधिकारों और उनके उत्तराधिकारियों के हक की पुष्टि करता है, जिससे भविष्य में ऐसे मामलों में कानूनी स्थिति और मजबूत होगी.