Property Registry Rules: भारत में प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री को कानूनी मान्यता प्रदान करने के लिए उसका रजिस्ट्रेशन बहुत आवश्यक होता है। यह प्रक्रिया भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 के अंतर्गत संपन्न होती है, जिसका मुख्य उद्देश्य डॉक्यूमेंट्स का सही रजिस्ट्रेशन सुनिश्चित करना और धोखाधड़ी को रोकना है। इस प्रक्रिया में प्रॉपर्टी की खरीद के सभी पहलुओं को कानूनी रूप से दर्ज किया जाता है, जिससे संपत्ति के स्वामित्व का सही आश्वासन मिल सके।
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी दस्तावेज
प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के लिए विक्रेता और खरीदार को कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज तैयार करने होते हैं। इनमें संपत्ति का खिताबी दस्तावेज, बिक्री का बांड, पहचान पत्र, पते का प्रमाण, और संपत्ति की नवीनतम फोटो शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान भी इसी प्रक्रिया का एक अंग होता है, जिसे आगामी रूप से पूरा करना होता है।
गवाहों की भूमिका और महत्व
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में गवाहों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। गवाह वह व्यक्ति होते हैं जो रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के दौरान लेन-देन की पुष्टि करते हैं। प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में आमतौर पर दो गवाहों की आवश्यकता होती है, और ये गवाह उस समय सब-रजिस्ट्रार के सामने उपस्थित होने चाहिए।
गवाह चुनने की योग्यता
गवाह के रूप में कोई भी व्यक्ति जो 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र का हो, और जिसका कोई संबंध प्रॉपर्टी लेन-देन से न हो, चुना जा सकता है। गवाहों को अपनी पहचान और पते के प्रमाण के साथ सब-रजिस्ट्रार के समक्ष प्रस्तुत होना अनिवार्य होता है, और उनके हस्ताक्षर और बायोमेट्रिक विवरण भी दर्ज किए जाते हैं।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी
प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए, सबसे पहले उम्मीदवार को सब-रजिस्ट्रार के कार्यालय में आवश्यक दस्तावेज और स्टाम्प ड्यूटी जमा करनी होती है। इसके बाद दस्तावेजों की जांच की जाती है और गवाहों की पहचान की पुष्टि की जाती है। एक बार जब सब कुछ सत्यापित हो जाता है, तब प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री सम्पन्न की जाती है, और इसका रिकॉर्ड सरकारी रजिस्टर में दर्ज किया जाता है।