DM VS SDM Power: प्रशासनिक सेवाओं में करियर बनाना हर युवा का सपना होता है. भारत में UPSC और PCS परीक्षाओं के माध्यम से कई महत्वपूर्ण पदों पर भर्ती की जाती है. इनमें DM (जिला मजिस्ट्रेट), SDM (सब डिविजनल मजिस्ट्रेट) और ADM (एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट) जैसे पद शामिल हैं. ये तीनों ही अधिकारी जिले में प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. आइए विस्तार से जानते हैं कि DM, SDM और ADM कौन होते हैं, उनके क्या कार्य होते हैं और इन पदों पर कैसे नियुक्ति होती है.
DM, SDM और ADM का फुल फॉर्म और उनकी भूमिका
DM का फुल फॉर्म और भूमिका
DM (District Magistrate) को जिला कलेक्टर भी कहा जाता है. यह जिले का सबसे बड़ा प्रशासनिक अधिकारी होता है. जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखने, सरकारी योजनाओं को लागू करने और विकास कार्यों की निगरानी करने की जिम्मेदारी डीएम की होती है.
SDM का फुल फॉर्म और भूमिका
SDM (Sub-Divisional Magistrate) तहसील स्तर पर सबसे बड़ा प्रशासनिक अधिकारी होता है. यह DM के अधीन कार्य करता है और जिले के एक उपखंड (सब-डिवीजन) का प्रमुख होता है. इसके तहत कानून-व्यवस्था, राजस्व संग्रह और अनुमंडल स्तर के विकास कार्यों की जिम्मेदारी होती है.
ADM का फुल फॉर्म और भूमिका
ADM (Additional District Magistrate), DM का सहायक अधिकारी होता है. वह जिलाधिकारी के अधीन रहकर प्रशासनिक कार्यों में उसकी सहायता करता है. ADM का मुख्य कार्य जिले में प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाना और डीएम की अनुपस्थिति में उसकी भूमिका निभाना होता है.
SDM कैसे बनें? जानिए परीक्षा और भर्ती प्रक्रिया
UPSC और PCS से बन सकते हैं SDM
SDM बनने के लिए उम्मीदवार को UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) या PCS (राज्य लोक सेवा आयोग) की परीक्षा पास करनी होती है.
- UPSC परीक्षा: अगर उम्मीदवार UPSC पास करता है और IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा) में चयनित होता है, तो ट्रेनिंग के बाद उसे SDM के पद पर नियुक्त किया जाता है.
- PCS परीक्षा: राज्य लोक सेवा आयोग (PCS) के माध्यम से भी अच्छे रैंक वाले उम्मीदवारों को SDM पद पर सीधी नियुक्ति दी जाती है.
SDM की प्रमुख जिम्मेदारियां
- कानून-व्यवस्था बनाए रखना
- राजस्व संग्रह करना
- सरकारी योजनाओं को लागू करना
- अनुमंडल स्तर पर विकास कार्यों की देखरेख करना
- आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों की निगरानी करना
ADM कैसे बनते हैं और उनकी क्या जिम्मेदारियां होती हैं?
ADM (Additional District Magistrate) बनने के दो तरीके होते हैं:
- UPSC के माध्यम से: IAS अधिकारी बनने के बाद अनुभव के आधार पर ADM के पद पर नियुक्ति होती है.
- राज्य सिविल सेवा (PCS) से प्रमोशन: PCS अधिकारी को कई वर्षों की सेवा के बाद ADM बनाया जाता है.
ADM की प्रमुख जिम्मेदारियां
- DM की सहायता करना और उसकी अनुपस्थिति में उसकी भूमिका निभाना.
- जिले में प्रशासनिक और विकास कार्यों की निगरानी करना.
- चुनाव संचालन, कानून-व्यवस्था और राजस्व प्रशासन में भूमिका निभाना.
ADM की तैनाती उन शहरों और जिलों में होती है, जहां जनसंख्या अधिक होती है और प्रशासनिक कार्यों का भार ज्यादा होता है.
SDM से DM बनने की प्रक्रिया
SDM से DM बनने में कितना समय लगता है?
अगर कोई व्यक्ति UPSC या PCS परीक्षा पास कर SDM बनता है, तो उसे 5-6 साल तक SDM के पद पर कार्य करना पड़ता है. इसके बाद प्रमोशन के आधार पर उसे DM के पद पर नियुक्त किया जाता है.
DM की प्रमुख जिम्मेदारियां
- जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखना.
- सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों को लागू करना.
- चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण रूप से संचालित करना.
- आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों की निगरानी करना.
DM, SDM और ADM: कौन ज्यादा पावरफुल होता है?
DM, SDM और ADM तीनों ही प्रशासनिक पद महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन पावर के हिसाब से DM सबसे ऊंचे पद पर होता है.
पद | अधिकारिता स्तर | रिपोर्टिंग अधिकारी |
---|---|---|
DM (जिला मजिस्ट्रेट) | जिला स्तर | राज्य सरकार, मुख्य सचिव |
ADM (अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट) | जिला स्तर (DM के अधीन) | DM |
SDM (सब डिविजनल मजिस्ट्रेट) | तहसील/उपखंड स्तर | DM और ADM |
क्या SDM और ADM के अधिकार समान होते हैं?
नहीं SDM और ADM के अधिकार अलग-अलग होते हैं.
- ADM को DM के अनुपस्थिति में कलेक्टर के सभी कार्य करने का अधिकार होता है, जबकि SDM को केवल अपने अनुमंडल क्षेत्र में अधिकार होते हैं.
- SDM मुख्य रूप से तहसील और अनुमंडल स्तर पर कार्य करता है, जबकि ADM को जिले में DM के सहायक के रूप में तैनात किया जाता है.