शादी में दूल्हा केवल घोड़ी पर ही क्यों जाता है ? इसके पीछे की वजह भी है बेहद मजेदार Wedding Rituals Facts

Shiv Shankar
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Wedding Rituals Facts: भारतीय समाज में शादी सिर्फ दो व्यक्तियों का नहीं। बल्कि दो परिवारों का भी मिलन होता है। यह त्योहार जैसे उत्सव का दिन होता है जहां अनेक रीति-रिवाजों के माध्यम से सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं देखने को मिलती हैं। हिंदुओं में शादी अनेक रस्मों से मिलकर होती है। जिसमें से एक महत्वपूर्ण रस्म है दूल्हे का घोड़ी पर बैठना।

दूल्हे का घोड़ी पर बैठने का प्रतीकात्मक महत्व

घोड़ी पर बैठने की परंपरा न केवल आकर्षण का विषय है बल्कि इसके पीछे कई गहरे सांस्कृतिक और सामाजिक प्रतीक छिपे होते हैं। इस परंपरा का एक अर्थ यह है कि दूल्हा स्वास्थ्य और शक्ति का प्रतीक है और घोड़ी पर बैठना उसकी कुशलता और आने वाली जिम्मेदारियों को संभालने की क्षमता को दर्शाता है।

जिम्मेदारियों की परीक्षा

मान्यताओं के अनुसार घोड़ी का चयन इसलिए किया जाता है क्योंकि घोड़ी स्वभाव से शांत और सैयम होती है। जो दूल्हे को आने वाली जिम्मेदारियों के लिए तैयार करती है। घोड़ी पर सवार होकर दूल्हा यह दर्शाता है कि वह अपने परिवार की बागडोर और अपने नए जीवन को संभालने में सक्षम है।

घोड़ी की जगह घोड़े का चुनाव न करने के कारण

घोड़े की अपेक्षा घोड़ी का चयन इसलिए भी किया जाता है क्योंकि घोड़ी अधिक शांत स्वभाव की होती है। शादी जैसे शोर-शराबे और संगीतमय वातावरण में घोड़ी अधिक स्थिर रहती है और इसे संभालना आसान होता है। इसके विपरीत घोड़ा जल्दी विचलित हो सकता है। जिससे अव्यवस्था और दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

वीरता और परंपरा का मिश्रण

प्राचीन काल में शादियां अक्सर वीरता और योद्धा की क्षमताओं को दिखाने करने का एक माध्यम भी थीं। दूल्हे का घोड़ी पर बैठना न केवल उसकी वीरता को दर्शाता है। बल्कि यह भी बताता है कि वह अपनी नई जिम्मेदारियों के लिए तैयार है। यह परंपरा आज भी शादी की रस्मों में एक अहम हिस्सा बनी हुई है, जो विवाह को और अधिक रोमांचक और यादगार बनाती है।

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