New Labor Code: भारत सरकार नए लेबर कोड्स लागू करने की तैयारी में है. इनका उद्देश्य श्रम कानूनों को सरल और प्रभावी बनाना है ताकि कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को लाभ मिल सके. नए कोड्स के तहत काम के घंटे बढ़ाए जा सकते हैं. लेकिन वर्क-लाइफ बैलेंस को बेहतर बनाने के लिए हफ्ते में चार दिन काम और तीन दिन आराम की सुविधा भी दी जाएगी.
काम के घंटे बढ़कर 12 घंटे हो सकते हैं
नए लेबर कोड्स के तहत कर्मचारियों के काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 किए जा सकते हैं. हालांकि एक हफ्ते में कुल काम के घंटे 48 ही होंगे. इसका मतलब है कि अगर आप चार दिन काम करते हैं, तो आपको 12 घंटे प्रति दिन काम करना होगा और बाकी तीन दिन आराम मिलेगा. यह बदलाव उन कर्मचारियों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो लंबे वीकेंड की सुविधा चाहते हैं.
तीन चरणों में लागू होंगे नए कोड्स
सरकार ने लेबर कोड्स को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना बनाई है ताकि कंपनियां और उद्योग इनके अनुरूप खुद को तैयार कर सकें.
- पहला चरण: 500 से अधिक कर्मचारियों वाली बड़ी कंपनियों पर लागू.
- दूसरा चरण: 100-500 कर्मचारियों वाली मझोली कंपनियों पर.
- तीसरा चरण: 100 से कम कर्मचारियों वाली छोटी कंपनियों पर.
एमएसएमई सेक्टर जो भारत की अर्थव्यवस्था का 85% हिस्सा है. एमएसएमई सेक्टर को इस बदलाव के लिए लगभग दो साल का समय मिलेगा.
मार्च 2025 तक तैयार होगा ड्राफ्ट
लेबर मंत्रालय नए कोड्स का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहा है. कोड ऑन वेजेस और सोशल सिक्योरिटी कोड पहले चरण में लागू किए जाएंगे. मार्च 2025 तक सभी राज्यों के साथ ड्राफ्ट नियमों को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है.
लेबर कोड्स क्या हैं?
29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार लेबर कोड्स में समाहित किया गया है. इन कोड्स का उद्देश्य श्रम कानूनों को आधुनिक और सरल बनाना है.
- कोड ऑन वेजेस: न्यूनतम वेतन और समय पर भुगतान सुनिश्चित करना.
- सोशल सिक्योरिटी कोड: कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा बढ़ाना.
- इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड: नियोक्ता और कर्मचारी के बीच संबंधों को मजबूत करना.
- ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड: कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना.
हफ्ते में चार दिन काम और तीन दिन आराम
नए कोड्स के तहत कर्मचारियों को हफ्ते में चार दिन काम और तीन दिन आराम का विकल्प मिल सकता है. हालांकि, चार दिन काम करने पर काम के घंटे 12 हो जाएंगे. यह बदलाव उन कर्मचारियों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो अधिक समय अपने परिवार या व्यक्तिगत गतिविधियों के लिए देना चाहते हैं.
प्रॉविडेंट फंड में बढ़ेगा योगदान
नए कोड्स के तहत प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) में कर्मचारियों का योगदान बढ़ेगा. इससे उनके रिटायरमेंट फंड में इजाफा होगा. हालांकि पीएफ कटौती बढ़ने से कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी (महीने की सैलरी) कम हो सकती है.
- लंबी अवधि में लाभ: कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय अधिक फंड मिलेगा.
- तकलीफ का सामना: शुरुआती दिनों में टेक-होम सैलरी कम होने के कारण कुछ कर्मचारियों को असुविधा हो सकती है.
कर्मचारियों और नियोक्ताओं पर प्रभाव
नए लेबर कोड्स का प्रभाव कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों पर पड़ेगा.
- कर्मचारियों को लाभ:
- बेहतर सामाजिक सुरक्षा.
- वर्क-लाइफ बैलेंस में सुधार.
- लंबी अवधि में आर्थिक सुरक्षा.
- नियोक्ताओं को लाभ:
- श्रम कानूनों का पालन आसान होगा.
- उद्योगों की उत्पादकता में सुधार होगा.
- काम के घंटे के लचीलेपन से कर्मचारी संतुष्टि बढ़ेगी.
लंबे समय तक काम करना
12 घंटे काम करने का प्रावधान कुछ कर्मचारियों के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन यह सभी के लिए सहज नहीं होगा.
- फायदे:
- सप्ताह में तीन दिन आराम मिलेगा.
- लंबी छुट्टियां प्लान करना आसान होगा.
- चुनौतियां:
- शारीरिक और मानसिक थकान.
- काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है.
एमएसएमई सेक्टर को मिलेगी राहत
एमएसएमई (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) सेक्टर को इन कोड्स को अपनाने के लिए दो साल का समय दिया जाएगा. इससे छोटे और मझोले उद्योगों को अपने कार्यप्रणाली में बदलाव करने का पर्याप्त समय मिलेगा.