RBI New Rule: हाल ही में न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने बैंक के जनरल मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया है. इस घटनाक्रम के बाद रिजर्व बैंक ने भी बैंक पर गंभीर कार्रवाई की है जिसमें बैंक की जमा और निकासी पर रोक लगाई गई है और बैंक के बोर्ड को 12 महीनों के लिए सस्पेंड कर दिया गया है.
बैंक डूबने पर ग्राहकों की चिंताएं
इस घोटाले के प्रकाश में आने के बाद बैंक के खाता धारकों में भारी हड़कंप मच गया है. ग्राहक चिंतित हैं कि उनकी जमा राशि का क्या होगा. रिजर्व बैंक ने जमा राशि पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है और सभी निकासियां भी रोक दी गई हैं. ऐसे में ग्राहकों की चिंता स्वाभाविक है.
जमा राशि पर बीमा कवर और सुरक्षा
आपको बता दें कि अगर बैंक डूबता है तो डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत ग्राहकों को उनके खाते में जमा राशि पर बीमा कवर मिलता है. जिसमें 10 लाख रुपये तक की जमा राशि पर अधिकतम 5 लाख रुपये तक की निकासी की गारंटी दी जाती है. यह सुविधा बैंक डूबने की स्थिति में ग्राहकों को एक निश्चित सुरक्षा प्रदान करती है.
आरबीआई के नियम और उपभोक्ता सुरक्षा
आरबीआई के नियम के अनुसार, बैंक के डूबने की स्थिति में ग्राहकों को उनकी जमा राशि पर अधिकतम 5 लाख रुपये तक का ही दावा करने का अधिकार होता है. यदि किसी ग्राहक के खाते में 2 लाख रुपये जमा हैं और बैंक डूब जाता है तो वे पूरी राशि वापस पा सकते हैं. लेकिन, अगर खाते में 7 लाख रुपये जमा हैं तो उन्हें अधिकतम 5 लाख रुपये ही मिलेंगे और 2 लाख रुपये का नुकसान होगा.
बैंकिंग सुरक्षा
बैंक डूबने की स्थिति में अपनी रकम को सुरक्षित रखने के लिए, विशेषज्ञों की सलाह है कि ग्राहकों को अपनी जमा राशि को विभिन्न बैंकों में बांटकर रखना चाहिए. इससे अगर एक बैंक में समस्या आती है तो आपके द्वारा अन्य बैंकों में रखी गई जमा राशि सुरक्षित रहेगी और आपका वित्तीय जोखिम कम होगा.
इस प्रकार, न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में उजागर हुए घोटाले ने न केवल बैंकिंग सुरक्षा के महत्व को दर्शाया है, बल्कि यह भी सिद्ध किया है कि ग्राहकों को अपने वित्तीय निवेशों को विभिन्न स्थानों पर वितरित करने की आवश्यकता है ताकि एकल जोखिम से बचा जा सके.