UPI Transaction Charges: भारतीय डिजिटल भुगतान प्रणाली एक नए चरण में प्रवेश करने वाली है जहां सरकार और पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और RuPay डेबिट कार्ड पर लेनदेन शुल्क यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) को पुनः लागू करने की संभावना पर विचार कर रही है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर (बुनियादी ढांचा) को बनाए रखने में बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स (सप्लायर) की मदद करना है।
छोटे व बड़े व्यापारियों पर MDR का प्रभाव
सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि बड़े व्यापारियों पर MDR चार्ज लागू किया जाए जबकि छोटे व्यापारियों को इससे राहत दी जाए। इस प्रस्ताव का मकसद डिजिटल पेमेंट्स को और अधिक प्रोत्साहित करना है, साथ ही साथ यह सुनिश्चित करना है कि डिजिटल भुगतान व्यवस्था आर्थिक रूप से स्थिर रहे।
PCI की चिंता और सरकार से अपील
पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर UPI और RuPay लेनदेन पर MDR फिर से लागू करने पर पुनर्विचार करने की मांग की है। PCI का मानना है कि MDR फिर से लागू करने से छोटे व्यापारी प्रभावित हो सकते हैं और इससे डिजिटल भुगतान की प्रगति पर असर पड़ सकता है।
सरकारी नीति और तकनीकी पहलुओं का अनुमान
वर्तमान में, सरकार इस नीति के तकनीकी पहलुओं का गहन अध्ययन कर रही है। इसमें यह देखा जा रहा है कि किस तरह से MDR को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है ताकि यह न केवल व्यापारियों के लिए स्वीकार्य हो बल्कि ग्राहकों पर भी कम से कम बोझ पड़े।
आगे की राह और निर्णय की प्रतीक्षा
सरकार का यह कदम दिखाता है कि भारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली को किस प्रकार से सुरक्षित और लाभकारी बनाया जा सकता है। यह नीति न केवल व्यापारियों के हित में होगी बल्कि साथ ही यह भारत को एक डिजिटल और कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने में मदद करेगी। सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि सरकार इस प्रस्ताव पर क्या निर्णय लेती है।