Registration Rules: मुद्रण एवं पंजीयन विभाग ने हाल ही में लीज डीड के पंजीकरण में महिलाओं को मिलने वाली 1% छूट को समाप्त कर दिया है। इस बदलाव से अब महिलाएं भी पुरुषों के बराबर स्टाम्प ड्यूटी चुकाने को मजबूर हैं, जो कि 6% है। इस निर्णय का पंजीयन कार्यालयों में व्यापक विरोध हो रहा है, जिससे समाज में विशेषकर महिला समुदाय में असंतोष बढ़ रहा है।
पहले की छूट का ढांचा
पहले के नियमों के अनुसार, महिलाओं को लीज डीड पंजीकरण पर 5% स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करना पड़ता था, जो कि अब बढ़कर 6% हो गई है। इससे पहले, महिलाओं को 1% की छूट दी जाती थी, जिससे उनके लिए आर्थिक बोझ कम होता था। यह छूट न केवल स्टाम्प ड्यूटी में, बल्कि सरचार्ज और अन्य लागतों में भी लाभकारी सिद्ध होती थी।
आर्थिक प्रभाव और समाज पर असर
इस नए बदलाव से महिलाएं अब अधिक आर्थिक बोझ महसूस कर रही हैं, जिसका सीधा प्रभाव उनके संपत्ति और आत्मनिर्भरता पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की छूट की समाप्ति से लंबे समय में महिलाओं की संपत्ति के अधिकारों पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
समाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस निर्णय के खिलाफ समाज के विभिन्न वर्गों से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई सामाजिक संगठनों और महिला अधिकार समूहों ने इसे महिलाओं के अधिकारों पर आघात करार दिया है और सरकार से इस छूट को पुनः लागू करने की मांग की है।
सरकारी विभाग की स्थिति
मुद्रण एवं पंजीयन विभाग ने इस निर्णय को आर्थिक नीतियों के तहत उचित बताया है, लेकिन इसे समाज के एक बड़े वर्ग द्वारा चुनौती दी जा रही है। विभाग का कहना है कि इस निर्णय से राजस्व में बढ़ोतरी होगी, जो सरकारी सेवाओं और विकास के लिए उपयोगी होगा।
आगे की राह
महिलाओं के लिए रजिस्ट्री में छूट की समाप्ति एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसका समाधान खोजने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा। इससे न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि यह समाज में लिंग समानता को भी प्रोत्साहित करेगा।