शादी की उम्र सीमा में बदलाव की तैयारी में सरकार, कानून में हो सकता है संशोधन Marriage Age Rules

Shivam Sharma
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Marriage Age Rules: नेपाल सरकार जल्द ही एक अहम बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाने जा रही है. वर्तमान में शादी के लिए निर्धारित न्यूनतम उम्र 20 वर्ष है. लेकिन अब इसे घटाकर 18 वर्ष करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है. इसके साथ-साथ सरकार बाल विवाह से जुड़े मामलों में सज़ा को कम करने या उसमें बदलाव लाने की योजना भी बना रही है.

काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार सरकार का मानना है कि 20 वर्ष की उम्र सीमा ने अपेक्षित लाभ नहीं दिए हैं. उल्टा इससे युवा प्रेमियों पर बलात्कार जैसे गंभीर आरोपों की संख्या बढ़ी है. जिससे समाज और कानून दोनों में उलझन की स्थिति बन गई है.

कानून मंत्री ने दी जानकारी

नेपाल के कानून मंत्री अजय चौरसिया ने इस विषय पर साफ किया कि सरकार मौजूदा संसद सत्र में विधेयक पेश करने की तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा “हम फिलहाल चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञों के साथ चर्चा के अंतिम चरण में हैं. इन विशेषज्ञों की राय के आधार पर ही बाल अधिनियम और आपराधिक संहिता में जरूरी संशोधन किया जाएगा.” इस बात से यह स्पष्ट है कि सरकार जल्दबाज़ी में नहीं. बल्कि सोच-समझकर कानून में बदलाव करना चाहती है ताकि युवाओं के भविष्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़े.

रोमियो-जूलियट कानून पर विचार

नेपाल सरकार दो संभावित रास्तों पर विचार कर रही है. पहला यह कि शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल कर दी जाए, और दूसरा अमेरिका के कुछ राज्यों में प्रचलित “रोमियो-जूलियट कानून” की तर्ज पर कोई स्थानीय विकल्प तैयार किया जाए.

इस कानून के अंतर्गत यदि दो युवा जिनकी उम्र में ज्यादा अंतर न हो. आपसी सहमति से संबंध बनाते हैं, तो उसे बलात्कार के दायरे से बाहर रखा जाता है. यानी अगर लड़का 19 साल का है और लड़की 17 साल की और दोनों की सहमति है, तो यह अपराध नहीं माना जाएगा.

नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने भी विधि, न्याय और मानवाधिकार समिति के समक्ष यह स्वीकार किया कि मौजूदा उम्र सीमा “काम नहीं कर रही” है और इसे व्यवहारिकता के आधार पर बदलने की जरूरत है.

क्या कहता है मौजूदा नेपाली कानून?

नेपाल की आपराधिक संहिता के अनुसार वैधानिक रूप से विवाह तब ही वैध होता है जब दोनों पक्षों की उम्र 20 वर्ष या उससे अधिक हो. धारा 173 के अनुसार अगर कोई इससे पहले शादी करता है या यौन संबंध बनाता है, तो उसे अधिकतम तीन वर्ष की सजा और 30,000 नेपाली रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. यहां तक कि अगर 18 साल से कम उम्र की लड़की की सहमति से भी यौन संबंध बनाए जाते हैं, तो उसे बलात्कार माना जाता है. इस कानून के चलते सैकड़ों युवकों पर न केवल बाल विवाह का, बल्कि बलात्कार का भी केस दर्ज हो चुका है.

मतदान और नागरिकता की उम्र का दिया गया तर्क

कानून में बदलाव के पक्ष में एक बड़ा तर्क यह भी दिया जा रहा है कि जब 18 साल की उम्र में मतदान किया जा सकता है और 16 साल में नागरिकता मिल सकती है, तो फिर शादी के लिए 20 साल की बाध्यता क्यों? साल 2022 में तत्कालीन कानून मंत्री गोविंदा कोइराला बंदी ने भी इस मुद्दे को संसद में उठाया था और उम्र सीमा को घटाने की मांग की थी. हाल ही में हुई संसद समिति की बैठक में भी कई सांसदों ने इस मुद्दे पर सरकार के रुख का समर्थन किया.

युवाओं पर न हो गलत आरोप, इसलिए जरूरी है बदलाव

नेपाल जैसे समाज में जहां प्रेम विवाह और प्रेम संबंध धीरे-धीरे स्वीकार्य हो रहे हैं, वहां कानूनी आयु सीमा को लेकर अक्सर युवाओं और उनके परिवारों को कानूनी उलझनों का सामना करना पड़ता है. कई मामलों में सहमति से बनाए गए रिश्तों को कानूनी बलात्कार मान लिया जाता है, जिससे न केवल युवाओं का भविष्य बर्बाद होता है, बल्कि कानूनी संस्थाओं का समय और संसाधन भी इसमें खर्च होते हैं. इसलिए यह बदलाव समय की मांग बन चुका है, ताकि सच्चे प्रेम और आपसी सहमति वाले रिश्तों को अपराध की श्रेणी में डालने से बचा जा सके.

सामाजिक संगठनों की राय और चिंता

हालांकि, इस मुद्दे पर सामाजिक संगठनों और महिला अधिकार समूहों की राय मिली-जुली है. कुछ संगठन मानते हैं कि उम्र घटाने से बाल विवाह को बढ़ावा मिल सकता है। जबकि अन्य का कहना है कि यह कदम कानून के दुरुपयोग को रोकने में मदद करेगा. सरकार का यह कहना कि वह इस विषय पर विशेषज्ञों की राय लेने के बाद ही फैसला करेगी. यह दर्शाता है कि बदलाव के पीछे समझदारी और संवेदनशीलता दोनों है.

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