पिता की प्रॉपर्टी में बेटी का कितना होता है हिस्सा, क्या पिता सारी प्रॉपर्टी अपने बेटे के नाम करवा सकता है ? Property Rules

Shivam Sharma
2 Min Read

Property Rules: भारत में संपत्ति विवाद अक्सर घरेलू तनाव का कारण बनते हैं, खासकर जब बात माता-पिता की संपत्ति के बंटवारे की हो. पारंपरिक रूप से कई मामलों में बेटियों को पैतृक संपत्ति में कम हिस्सा मिलता है या बिल्कुल भी नहीं मिलता है. हालांकि कानूनी ढांचे में बदलाव के साथ बेटियों के अधिकारों को मजबूती मिली है .

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम और बेटियों के अधिकार

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत, 2005 के संशोधन के बाद, बेटियों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा दिया गया है. इस संशोधन ने बेटियों को पिता की संपत्ति में बराबरी का अधिकार प्रदान किया है, चाहे उनकी शादी हुई हो या नहीं .

पैतृक और स्व-अर्जित संपत्ति में अंतर

पैतृक संपत्ति वह होती है जो माता-पिता से चार पीढ़ियों तक विरासत में मिलती है और इसमें बेटे और बेटियों को बराबर का हिस्सा मिलता है. वहीं, स्व-अर्जित संपत्ति वह होती है जो व्यक्ति अपनी कमाई से अर्जित करता है. स्व-अर्जित संपत्ति में पिता के पास पूरा अधिकार होता है कि वह इसे किसी को भी वसीयत के माध्यम से दे सकते हैं .

स्व-अर्जित संपत्ति में बेटियों के अधिकार

अगर पिता ने स्व-अर्जित संपत्ति किसी बेटे के नाम कर दी है तो उस पर बेटी का कोई अधिकार नहीं होता, जब तक कि पिता ने वसीयत के माध्यम से उसे हिस्सा नहीं दिया हो. इसका मतलब यह है कि स्व-अर्जित संपत्ति पर बेटी के अधिकार सीमित होते हैं और यह पूरी तरह से पिता की इच्छा पर निर्भर करता है.

इस प्रकार बेटियों को अपने अधिकारों की जानकारी होना चाहिए और वे कानूनी मार्गदर्शन के लिए योग्य वकील से संपर्क कर सकती हैं. इससे उन्हें अपनी संपत्ति के अधिकारों को समझने और उनका समुचित उपयोग करने में मदद मिल सकती है.

Share This Article