Food Safety Officer: हरियाणा में खाद्य सुरक्षा से जुड़ी एक गंभीर समस्या सामने आई है. राज्य में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के 45 स्वीकृत पदों में से 43 पद खाली हैं. जिससे मिलावटखोरी को रोकने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है. यह जानकारी हाईकोर्ट में एक याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आई. कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सरकार को जल्द से जल्द कार्रवाई करने और खाली पदों को भरने का आदेश दिया है.
जनहित याचिका में हुआ बड़ा खुलासा
इस मामले की शुरुआत हाईकोर्ट के वकील विजय दीप द्वारा दायर जनहित याचिका से हुई. याचिका में हरियाणा में दूध में मिलावट को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी. याचिकाकर्ता ने यह मांग की थी कि मिलावटखोरी पर सख्त कानून बनाए जाएं और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट, 2006 के तहत सख्त कार्रवाई की जाए.
दूध में मिलावट गंभीर स्वास्थ्य समस्या
याचिका में कहा गया कि दूध में मिलावट के कारण लोगों को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. मिलावटखोरी न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. बल्कि यह एक गंभीर अपराध भी है. खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों के लिए मिलावटी दूध खतरनाक साबित हो सकता है.
मिलावटखोरी के लिए सख्त सजा का प्रावधान
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के अनुसार मिलावटखोरी के मामलों में दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाती है.
- जुर्माना: एक लाख रुपये तक हो सकता है.
- सजा: 6 महीने से लेकर 7 साल तक की हो सकती है.
- दोनों: जुर्माना और सजा दोनों लगाई जा सकती हैं. यह अपराध की गंभीरता पर निर्भर करता है.
कोर्ट ने खाली पदों पर जताई चिंता
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि राज्य में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के 45 स्वीकृत पदों में से 43 पद खाली हैं. यह स्थिति स्पष्ट रूप से दिखाती है कि मिलावटखोरी पर रोक लगाने के लिए प्रशासन के पास पर्याप्त मानव संसाधन नहीं हैं. कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि इन पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए.
क्यों है खाद्य सुरक्षा अधिकारियों का अभाव?
राज्य में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की कमी का मुख्य कारण प्रशासनिक उदासीनता और समय पर भर्ती प्रक्रिया पूरी न होना है.
- प्रशासनिक लापरवाही: समय पर नियुक्तियां नहीं की जा रहीं.
- कानूनी जटिलताएं: भर्ती प्रक्रिया में कानूनी अड़चनों के कारण देरी.
- वित्तीय कारण: बजट की कमी भी एक बड़ा कारण हो सकता है.
हाईकोर्ट के आदेश
हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह 60 दिनों के भीतर इस मामले पर कार्रवाई करे और अदालत को सूचित करे. कोर्ट ने यह भी कहा कि मिलावटखोरी जैसी गंभीर समस्या को हल करने के लिए राज्य को जल्द से जल्द खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की भर्ती करनी होगी.
सरकार की जिम्मेदारी
इस मामले में सरकार की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. खाली पदों को भरने के अलावा सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
- कानून को सख्त बनाना: मिलावटखोरी पर सख्त कार्रवाई के लिए कानूनों में संशोधन करना.
- निगरानी तंत्र मजबूत करना: खाद्य सुरक्षा के लिए निगरानी तंत्र को मजबूत करना.
- जागरूकता अभियान: लोगों को मिलावट के खतरों के प्रति जागरूक करना.
- प्रयोगशालाओं का विस्तार: जांच के लिए अधिक प्रयोगशालाएं स्थापित करना.
आम लोगों को कैसे करें सतर्क?
खाद्य सुरक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है. बल्कि आम लोगों को भी सतर्क रहना होगा.
- खरीदारी करते समय ध्यान दें: प्रतिष्ठित ब्रांड और प्रमाणित उत्पादों को ही खरीदें.
- पैकेजिंग की जांच करें: उत्पाद की एक्सपायरी डेट और गुणवत्ता सुनिश्चित करें.
- शिकायत करें: किसी भी संदिग्ध उत्पाद के बारे में संबंधित अधिकारियों को शिकायत करें.